..मांगी नाव न केवट आना
बांगरकला की रामलीला का पांचवां दिन। सीता लक्षमण सहित प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के लिए निकले।
सुलतानपुर : बांगरकला गांव में चल रही रामलीला के पांचवें दिन श्रीराम केवट संवाद का कलाकारों ने मंचन किया, जिसे देखकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे और उनकी आंखों से आंसू छलक उठे।
सीता, लक्षमण सहित प्रभु श्रीराम 14 वर्ष वनवास के लिए निकले। नदी पार करने के लिए श्रीराम ने निषादराज से नौका मांगी लेकिन, निषादराज नहीं लाया। वह कहने लगा कि मैंने तुम्हारा मर्म जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए, सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है, जिसके छूते ही पत्थर की शिला सुंदर स्त्री हो गई। मेरी नाव काठ की है। मेरी नाव भी स्त्री हो जाएगी। उसने कहा कि प्रभु पैर धोने के बाद ही नदी पार कराएंगे। इस पर प्रभु राम तैयार हो गए। अयोध्या से उनके भाई भरत आए और राम को वापस ले जाने के लिए काफी विलाप किया। राम ने कहा कि मैं वापस लौटता हूं तो पिता और माता के आदेश की अवहेलना होगी। दोनों ²श्य देख कर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। अध्यक्ष तीरथराज सिंह, प्रबंधक सत्य प्रकाश सिंह, दिवाकर सिंह, दिनेश सिंह, अमरनाथ सिंह, बलराम मिश्र, रत्नाकर आदि मौजूद रहे।