धरती की कोख तक पहुंचा रहे बारिश की बूंदें
वर्षा जल सहेजने को लगाया संयंत्र सालभर तालाब को लबालब रखने की कोशिश ला रही रंग।
सुलतानपुर : पानी के दोहन से कंगाल होती धरती की कोख को जल युक्त रखने के लिए बेहद कम लोग संवेदनशील हैं। वहीं, कुछ लोगों का इस दिशा में किया गया प्रयास मील का पत्थर साबित हो रहा है। इनकी कोशिशों से आसपास के क्षेत्र में भूजल स्तर कई साल से नीचे नहीं जा रहा है। इतना ही नहीं वर्षा जल को बचाकर दोहन के बावजूद इनकी कोशिशों से पानी की उपलब्धता पहले सतही स्तर पर बरकरार रखा है।
नजीर बना कलान महाविद्यालय :
प्रशासनिक स्तर पर वर्षा जल संरक्षण के प्रति उदासीन है। वहीं, अखंडनगर विकास खंड के श्रीविश्वनाथ शिक्षण संस्थान बीते दस साल से इस दिशा में उदाहरण बना है। गिरते भूजल और भविष्य में इससे उठने वाली विकराल समस्या से निजात पाने के लिए कलान के इस परास्नातक महाविद्यालय की ओर से पहल की गई है। महाविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. वेद प्रकाश सिंह ने भूमिगत जलस्तर को स्थिर रखने और इसे उठाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट परिसर में लगाया गया। इसके सुखद परिणाम सामने आए हैं। महाविद्यालय के आसपास के क्षेत्र में भीषण गर्मी के दौरान भी हैंडपंप और नलकूप सक्रिय रहते हैं। इसे स्थापित करने में महाविद्यालय के संस्थापक भोला सिंह पूर्व प्राचार्य उदय प्रताप सिंह, अतुल कुमार सिंह, डॉ. मनोज सिंह व देवेंद्र प्रताप सिंह ने सहयोग और सक्रिय भूमिका निभाई है।
रंग ला रहा हैं इनका प्रयास :
शहर से सटी ग्रामसभा बंधुआ कला के मो. सफीक को अपने गांव का तालाब सालभर पानी से भरा रखने कर जुनून है। बारिश का पानी इस दो बीघा के तालाब में सालभर रहे इसके लिए सारे जतन वह ग्रामीणों के श्रमदान से करते हैं। गर्मियों में तालाब के सूखे क्षेत्र की खोदाई कर इसे गहरा किया जाता है। निकली मिट्टी से बंधे ऊंचे और पुख्ता किए जाते हैं। वर्षा का पानी हर दिशा से तालाब में आए इसके लिए दर्जनों नालियां बनाई जाती हैं। सफीक ने बताया कि इन कोशिशों के चलते बीते दो दशक में किसी साल कम वर्षा होने पर भी तालाब सूखा नहीं। मई व जून में पानी कम होने पर नलकूप के जरिए इसका जलस्तर बढ़ाया जाता है।