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आज से सरकारी अस्पतालों में शुरू हो जाएगी ओपीडी व सर्जरी

आपरेशन के पहले होगी ट्रूनेट या आरटीपीसीआर जांच कोविड प्रोटोकाल के तहत देखे जाएंगे मरीज।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 11:16 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 11:16 PM (IST)
आज से सरकारी अस्पतालों में शुरू हो जाएगी ओपीडी व सर्जरी
आज से सरकारी अस्पतालों में शुरू हो जाएगी ओपीडी व सर्जरी

सुलतानपुर : जिला अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी में बंद ओपीडी सेवाएं शुक्रवार से शुरू कर दी जाएंगी। शासन से मिले निर्देश पर कोविड प्रोटोकाल के तहत आपरेशन की सुविधा से भी मरीजों को लाभांवित किया जाएगा। ब्लैक फंगस महामारी के मद्देनजर आंख, नाक, कान व गला रोग से पीड़ित मरीजों के लिए दो घंटे चलने वाली ओपीडी को फुल टाइम कर दिया गया है। मरीजों को भर्ती कर पूर्व की तरह ही इलाज सुनिश्चित किए जाने की भी बात कही गई है।

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कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए मार्च के तीसरे सप्ताह में जिला महिला व पुरुष अस्पताल में ओपीडी सेवाओं को बंद कर दिया गया था। सीएचसी व पीएचसी पर भी ओपीडी नहीं की जा रही थी। इमरजेंसी के तहत मरीजों का इलाज कर कोविड प्रोटोकाल के तहत जरूरी आपरेशन आदि ही किए जा रहे थे।

सीएमओ डॉ. डीके त्रिपाठी ने बताया कि शुक्रवार से सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाओं को शुरू कर दिया जाएगा। ट्रूनेट व आरटीपीसीआर जांच के बाद ही मरीजों को आपरेशन किया जाएगा। अस्पताल प्रभारियों को सात जून तक साफ-सफाई व बिल्डिग आदि की रंगाई-पुताई का कार्य पूरा कराने के भी निर्देश दिए गए हैं।

अलग होगी फीवर क्लीनिक की व्यवस्था :

कोरोना संक्रमण को देखते हुए सभी अस्पतालों में अलग से फीवर क्लीनिक की स्थापना की जाएगी। यहां सिरदर्द, बुखार, जुकाम, सर्दी व अन्य वायरल रोगों से ग्रसित लोगों का कोविड जांच के बाद इलाज किया जाएगा। इस क्लीनिक की स्थापना का उद्देश्य कोविड के संक्रमितों की पहचान करना भी है। जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर आए मरीज को तुरंत एल-टू कोविड केयर सेंटर रेफर कर दिया जाएगा।

करीब छह हजार की होती थी ओपीडी :

सामान्य दिनों में जिला अस्पताल से लेकर ग्रामीणांचल स्वास्थ्य केंद्रों तक करीब छह हजार रोगियों की प्रतिदिन ओपीडी की जाती थी। प्रसव के साथ ही ऑपरेशन आदि की सुविधाओं से भी लोगों को लाभ पहुंचाया जाता था। सरकारी अस्पतालों में जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं के न मिलने से मरीजों को निजी चिकित्सकों से महंगा इलाज कराने को विवश होना पड़ता था।


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