शिक्षा प्राप्ति के साथ संक्रमण से भी बचाव जरूरी
परंपरागत कक्षाओं का संचालन नहीं होने से बचों में वह विकास नहीं हो पा रहा है।
सुलतानपुर : अपेक्षित ढांचा विकसित किए बिना ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को लागू करने का नुकसान देखने को मिल रहा है। परंपरागत कक्षाओं का संचालन नहीं होने से बच्चों में वह विकास नहीं हो पा रहा है, जिस कल्पना को लेकर एक अभिभावक ने अपने बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया है। शिक्षक प्रवेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली का हमारे पास अनुभव नहीं है, जिसे सीखने की जरूरत है। छात्रों में शारीरिक दूरी बनाने के साथ सामाजिक दूरियां न बने, इस मनोवृत्ति पर भी काम करना पड़ेगा। शिक्षा प्राप्ति के साथ संक्रमण से कैसे बचें, इस बात पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। कोरोना संक्रमण के स्थायी होने की दशा में शिक्षण और प्रशिक्षण पद्धतियों में परिवर्तन किया जाना चाहिए। शिक्षण को जीवंत बनाने की भी जरूरत है। छात्र, शिक्षक व प्रशासन एक साथ मिलकर अनुशासन से काम करें। क्योंकि, अभाव, आपदा व दिक्कतें भी सबक सिखाने का काम करती हैं। खुले मन से विचार विमर्श भविष्य की रणनीति बनाकर संगठित होकर काम करना पड़ेगा। तभी जाकर कार्य कुशलता आएगी और घर को ही विद्यालय मानना पड़ेगा। छात्रों को अपने भविष्य की चिता न कर वर्तमान समय पर फोकस करना चाहिए। हम इस संकट से अवश्य उबर जाएंगे, जिसमें थोड़ा समय जरूर लग सकता है।
छात्रा शालू ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए अच्छे नेटवर्क की आवश्यकता होती है, जहां नेटवर्क नहीं है, वहां शिक्षा की यह विधा मुश्किल है। गांव में नेटवर्क की काफी समस्या रहती है। बिजली न होने से भी इंटरनेट की स्पीड कम हो जाती है और अध्यापन के लिए शैक्षणिक मैटीरियल को डाउनलोड करना मुश्किल होता है। ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था के तहत सिर्फ एकतरफा पढ़ाई हो पाती है। वहीं, जानने व समझने की जिज्ञासा मन में ही रह जाती है। स्कूल की पढ़ाई से होने वाला शैक्षिक विकास क्षीण हो रहा है, जिसका असर छात्रों के आचरण पर भी पड़ रहा है।
अभिभावक मनोज प्रभाकर सिंह ने बताया कि कोरोना के चलते उपजे आर्थिक संकट से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में बच्चों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन और इसके लिए संसाधनों की व्यवस्था करना किसी बड़ी मुश्किल से कम नहीं है। निजी व सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गई हैं। पठन-पाठन जारी रखने के लिए यदि किसी तरह से एंड्रायड फोन खरीद भी लिया तो हर माह रीचार्ज के लिए राशि खर्च करना आसान नहीं है। समय के हिसाब से जब इस विधा को जरूरी माना जा रहा है, तो सरकार को इसकी बेहतरी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।