इंसुलेटर पर गिरी बिजली, अंधेरे में रही सौ गांवों की आबादी
तीन इंसुलेटर दग गए निगोलिया गांव में वज्रपात के कारण। बनकेपुर कूड़धाम व बंधुआ कलां समेत तीन फीडर की लाइट रही गुल।
सुलतानपुर : तेज गर्जना और बारिश के बीच शनिवार को वज्रपात से टांडा-बांदा राजमार्ग स्थित निगोलिया गांव में 33 हजार वोल्ट की बिजली लाइन के तीन इंसुलेटर दग गए। दरअसल, हादसे से बिजली के तीनों तार एक दूसरे के संपर्क में आ गए और आपूर्ति बाधित हो गई। दोपहर बाद हुए इस फाल्ट से बनकेपुर, कूड़धाम व बंधुआ कलां फीडर से जुड़े करीब सौ गांवों की बिजली रातभर गुल रही। इससे पांच लाख से ज्यादा आबादी को दिक्कतें उठानी पड़ीं। बहरहाल, मशक्कत के बाद फाल्ट को दूरकर तड़के चार बजे बिजली आपूर्ति बहाल हो सकी।
शनिवार को करीब दो बजे के आसपास तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी। इसी दौरान निगोलिया गांव में बिजली गिरने से इंसुलेटर दग गया। घटनास्थल पर पहुंचे जूनियर इंजीनियर शोभित यादव की देखरेख में कर्मियों ने खराबी को दूर करने के लिए काम शुरू किया। देर रात फाल्ट दुरुस्त कर बिजली आपूर्ति शुरू गई तो बाधा उत्पन्न हो गई। रात होने के चलते फाल्ट को ढूंढने में मशक्कत करनी पड़ी। काफी देर बाद कुर्मियान गांव में फाल्ट होने की सूचना प्राप्त हुई। घटनास्थल पर पहुंचे बिजली कर्मियों ने पाया कि हाईटेंशन लाइन के तार पर फेंके गए हरे सरपत की वजह से बिजली आपूर्ति बाधित हुई है।
कर्मियों ने फाल्ट को ठीक कर सुबह चार बजे आपूर्ति बहाल कराई। वहीं, बिजली गुल होने से भीषण गर्मी और उमस ने लोगों के बेहाल कर दिया। तकरीबन सौ गांवों की लाखों की आबादी को बिना बिजली के ही रात गुजारनी पड़ी। उधर, दोपहर से उद्योग-धंधे, नलकूप आदि ठप रहे। धान की रोपाई के लिए खेत में पानी भरने के लिए किसानों को परेशान होना पड़ा। अवर अभियंता ने बताया कि फाल्ट को दूर कर बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है।
अक्सर टूटकर गिरते हैं बिजली के बदहाल तार :
असरोगा, देवरहर व कुड़वार उपकेंद्र से गांवों को बदहाल हो चुके तारों से उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाई जा रही है। दरअसल, 11 हजार व 33 हजार वोल्ट की लाइन के तार इतने जर्जर हो गए हैं कि अक्सर टूटकर गिरते रहते हैं। कुछ दिन पहले असरोगा उपकेंद्र से एक किलोमीटर की दूरी तक तारों को बदला गया था। तब से आज तक बदहाल बिजली के तारों को बदला नहीं जा सका है। वहीं, उपभोक्ताओं ने नया तार खींचने की फरियाद उच्चाधिकारियों से की थी, मगर अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। वहीं, कम क्षमता के ट्रांसफार्मर भी अत्यधिक लोड उठाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं।