'..मैं हंस पड़ूं तो फूल भी खुशबू उछाल दे'
सुलतानपुर : 'या रब दिया है, हुस्न तो यह भी कमाल दे। मैं हंस पड़ूं तो फूल भी खुशबू उछाल दे।
सुलतानपुर : 'या रब दिया है, हुस्न तो यह भी कमाल दे। मैं हंस पड़ूं तो फूल भी खुशबू उछाल दे। 'ये पंक्तियां हैं शायरा हाजरा नूर जरयाब की। शनिवार की देर शाम उन्होंने क्षत्रिय भवन में आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में इन्हें सुनाकर माहौल को रुमानी बना दिया। कार्यक्रम में देश के कई नामी-गिरामी कवियों ने शिरकत की और अपनी रचनाएं सुनाकर देश और समाज के मौजूदा हालात पर अपने अंदाज में टिप्पणी की।
मुस्तकीम इंटर कालेज ज्ञानीपुर के बैनर तले आयोजित इस कवि सम्मेलन के दौरान आलिम जाह सुलतानपुरी के संयोजन में कई रचनाकारों को सम्मानित भी किया गया।'आइना-दर-आइना'गजल संग्रह के लिए डॉ.डीएम मिश्र को फिराक गोरखपुरी अवार्ड व डॉ.अंजुम लखनवी को अल्लामा इकबाल अवार्ड से नवाजा गया। उनकी किताब'जवाबे शिकवा'का विमोचन भी हुआ। मुंबई से आए डॉ.अंजुम लखनवी के इस शेर को खूब दाद मिली-'यह सोच के मैं कूच ए कातिल में निडर था, मूसा जहां रहते थे वह फिरऔन का घर था।।' शायर मुंशीरजा के इस शेर में लोगों को सोचने को मजबूर कर दिया-'खता बताके बिछुड़ जाओ, कोई बात नहीं, नहीं तो उम्र भर सोचूंगा क्या खता थी मेरी।।'आलिम जाह सुलतानपुरी ने सुनाया-'कहीं रहीम, कहीं पर हैं राम के झगड़े। खुदा तो एक अजल ही से है सभी के लिए।।'जयपुर से पधारे कवि मुकेश शुक्ला ने मौजूं दोहे सुनाए-'गूंगी जनता हो जहां, राजा अति बाचाल। निश्चय ही उस देश का हाल होय बेहाल।।'कवि डीएम मिश्र ने मौजूदा चुनाव और हालात पर कलाम पढ़ा-'जनता हो जागरूक फिर आया चुनाव है। मंत्री को मेरे द्वार तक लाया चुनाव है।।'इस पर उन्हें खूब वाहवाही मिली। इसके अलावा ऐश बस्तवी, नाजिया रिफत कानपुरी, आबाद सुलतान, फैजान कानपुरी, हुनूर रसूलपुर आदि ने भी अपनी रचनाएं सुनाई। पूर्व एमएलसी अशोक ¨सह, सुभाष त्रिपाठी व शकील अहमद आदि ने शिरकत की।