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अभियान: फोरलेन पर उड़ती धूल, कछुआ चाल से बंटाधार

चार वर्षो बाद भी पूरा न हो सका फोरलेन का कार्य लखनऊ से वाराणसी जाने वाले यात्री झेलते मुसीबत

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 11:08 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 11:08 PM (IST)
अभियान: फोरलेन पर उड़ती धूल, कछुआ चाल से बंटाधार

सुलतानपुर: लखनऊ-वाराणसी फोरलेन का निर्माण चार वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका। पयागीपुर से जौनपुर की सीमा तक अधूरे इस मार्ग ने सफर में जोखिम बढ़ा दिया है। कहीं धूल का गुबार उड़ता है तो कहीं अचानक सड़क खत्म होने व मोड़ की वजह से हादसे का खतरा। निर्माण की कछुआ चाल से सुगम यात्रा की मंशा पर पानी फेर दिया। इस बड़ी परियोजना का बंटाधार भी हो रहा है।

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जिले की सीमा में ही कई उपरिगामी सेतु और सर्विस लेन बदहाल और अधूरे हैं। यहां से लखनऊ की यात्रा तो सुगम हुई, लेकिन वाराणसी की ओर चलने पर कुछ स्थानों पर महज 50 प्रतिशत कार्य दिख रहा है। ऐसे में आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं।

जोखिम भरा है सफर

पयागीपुर चौराहे पर धूल उड़ती रहती है। वाराणसी की ओर बढ़ने पर ओवर ब्रिज के समानांतर बनी सर्विस लेन अधूरी है। पांच किलोमीटर आगे महानपुर गांव के पास मार्ग अधूरा होने के चलते वाहनों को व्यस्त बाजार हनुमानगंज से गुजरना होता है।

अधिक दूरी तय कर होती यात्रा

लखनऊ-वाराणसी का आधा सफर मुश्किल भरा होने के कारण लोगों ने इस सीधे मार्ग पर आवाजाही से तौबा कर ली। आमतौर पर लोग ऐसे वैकल्पिक मार्गो का सहारा ले रहे हैं, जिसकी दूरी 40 से 50 किलोमीटर अधिक है।

यह जिला लखनऊ-वाराणसी के केंद्र में स्थित है। शहर से लखनऊ और वाराणसी की समान दूरी है। सुलतानपुर, अमेठी, जौनपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली के साथ प्रयागराज के लोगों का लखनऊ व वाराणसी से बेहतर जुड़ाव हो, इस मंशा से केंद्र सरकार ने लखनऊ-वाराणसी हाईवे (एनएच-56) के चौड़ीकरण को मंजूरी दी थी।

इसके तहत इसको फोरलेन किया जाना था। सुलतानपुर-वाराणसी फोरलेन का कार्य कछुआ चाल से ही चल रहा है। वर्ष 2015 में टेंडर हुआ और 2016 के अंत से कार्य शुरू हुआ। इतना समय बीत गया है, लेकिन 1792 करोड़ की लागत से बनने वाले 139 किलोमीटर मार्ग का कार्य पूरा नहीं हो सका।

इस मार्ग पर हनुमानगंज, लम्भुआ व चांदा में बाइपास बनना है। साथ ही पयागीपुर रेलवे क्रासिंग पर एक फ्लाइओवर निर्माणाधीन है। एनएचएआइ के अधिकारियों का दावा है कि सुलतानपुर-वाराणसी फोरलेन का कार्य लगभग अंतिम चरण में है। अक्टूबर 2022 तक निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा

-कार्यदायी संस्था की शिथिलता और कुछ प्रशासनिक औपचारिकता के चलते काम पूरा करने में देर हुई। पुलों का कार्य अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि चार माह में निर्बाध सफर शुरू हो जाएगा।

-आरएस यादव, परियोजना प्रबंधक, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ)


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