मुद्दा: अब तक रेलमार्ग से नहीं जुड़ सकी अमेठी
दशकों से फाइलों में सिमटी परियोजना जनप्रतिनिधि भी मौन
सुलतानपुर: कभी इसी जिले का हिस्सा रही अमेठी अब तक यहां से रेलमार्ग से नहीं जुड़ सकी। दशकों बाद भी दोनों जिले के लोग इस सुविधा की आस लगाए बैठे हैं। इसके लिए परियोजना तो बनी, लेकिन अब तक फाइलों से बाहर नहीं आ सकी। यह भी अहम मुद्दा है, जिसको लेकर जनप्रतिनिधि मौन हैं।
राजनीति के फलक पर सशक्त अमेठी को सुविधा संपन्न करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री और अमेठी सांसद रहे राजीव गांधी ने अमेठी से वाया सुलतानपुर-शाहगंज रेलखंड स्थापना की परिकल्पना की थी। आरंभिक स्तर पर इस दिशा में काम भी हुए। बावजूद इसके परिणाम शून्य ही रहा। वर्तमान में अमेठी जिला है। यदि दोनों जिले रेलमार्ग से जुड़ जाएं तो न सिर्फ संबंधित क्षेत्रों का विकास होगा, बल्कि आवागमन, कारोबार भी सुगम हो जाएगा।
मंत्रालय भेजी गई फाइल:
अमेठी में राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के बाद उम्मीद बनी कि अब रेलखंड पर काम होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अमेठी का प्रतिनिधित्व करने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी के प्रयास से योजना की स्वीकृति के लिए पत्रावली रेल मंत्रालय को भी भेजी गई है। वहां से इसका मानचित्र भी जारी किया गया है।
34 किलोमीटर लंबी होगी रेल लाइन:
प्रस्ताव के अनुसार दोनों जिलों को जोड़ने वाली यह रेल लाइन 37 ग्राम पंचायतों से होकर गुजरेगी। रेल लाइन बिछने से इन गांवों के किसानों को न सिर्फ भूमि का अच्छा मुआवजा मिलेगा, बल्कि प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार भी हासिल हो सकेगा। इस रेल लाइन पर पिडोरिया, धम्मौर व दिखौली में रेलवे स्टेशन बनाए जाने का भी प्रस्ताव है। रेल लाइन के लिए 133.36 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित है।
दैनिक यात्री होते हलकान:
अमेठी से यहां की दैनिक यात्रा करने वालों की संख्या सैकड़ों में है। वहीं, यहां के न्यायालय में उस जिले के मुकदमों की सुनवाई भी होती है। ऐसे में रेल सेवा न होने से सड़क मार्ग से खर्चीली और कष्टप्रद यात्रा मजबूरी है। अमेठी में तैनात फार्मासिस्ट विवेकनगर निवासी डा. मुकेश गुप्ता का कहना है कि पर्याप्त बस सुविधा नहीं है। इस कारण समस्या होती है। शिक्षक राघवेंद्र मिश्र ने बताया कि बाइक से आवागमन करने में परेशानी होती है। बैंक में कार्यरत अनुराधा पाठक कहती हैं कि सुलतानपुर-अमेठी को रेल लाइन से जोड़ा जाना जरूरी है।
वर्जन::
इस रेलखंड का प्रस्ताव और उसके सर्वे पर कई चरणों में काम किया गया है। सुलतानपुर से कादीपुर होते हुए शाहगंज तक के सर्वे पर काम हो रहा है। परियोजना पर काम रेलवे बोर्ड के निर्देश पर किया जा रहा है।
- एसके सप्रा, डीआरएम, उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल