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मुद्दा: इसौली सीट: तहसील तो मिली फिर भी दौड़ लगाना मजबूरी

स्थापना के पांच साल बाद भी नहीं मिल सका निजी भवन उपजिलाधिकारी-क्षेत्राधिकारी से मिलने को लगानी पड़ती जिला मुख्यालय तक दौड़

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 11:06 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 11:06 PM (IST)
मुद्दा: इसौली सीट: तहसील तो मिली फिर भी दौड़ लगाना मजबूरी
मुद्दा: इसौली सीट: तहसील तो मिली फिर भी दौड़ लगाना मजबूरी

सत्य प्रकाश वर्मा, सुलतानपुर: जिले की सीमा पर बसे बल्दीराय को यूं तो तहसील का दर्जा मिले पांच साल बीतने को हैं, लेकिन अब तक स्थाई भवन नहीं मिल सका। सिचाई विभाग के डाक बंगले में इसका संचालन हो रहा है। विशेष दिवसों पर ही अधिकारी व कर्मचारी मिलते हैं, बाकी दिनों फरियादी उन्हें खोजते रहते हैं।

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उपजिलाधिकारी और क्षेत्राधिकारी से मिलने को 25 किमी की दूरी तय कर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। रजिस्ट्री कराने को अमेठी जिले की मुसाफिरखाना तहसील तक दौड़ लगानी पड़ रही है।

2016 में घोषित हुई तहसील:

11 जून 2016 को बल्दीराय को जब तहसील का दर्जा मिला तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्हें लगा कि अब जिला मुख्यालय जाने से छुटकारा मिलेगा। पांच साल बीत गए, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिला। इस अवधि में सिर्फ कर्मियों के आवास का निर्माण शुरू हो सका।

इन अवसरों मिलते अधिकारी:

संपूर्ण समाधान दिवस, थाना दिवस व बड़े अफसरों के दौरे के समय ही अधिकारी व राजस्व विभाग के कर्मी यहां दिखते हैं, बाकी दिनों उनको खोजना पड़ता है। आवासीय भवन न होने के कारण अफसर जिला मुख्यालय से आते-जाते हैं।

राष्ट्रीयकृत बैंक नहीं:

तहसील मुख्यालय पर एक भी राष्ट्रीयकृत बैंक व एटीएम तक नहीं है। बड़ौदा ग्रामीण बैंक की केवल एकमात्र शाखा है। इससे लोगों को कई किमी का चक्कर लगाकर अमेठी जिले के मुसाफिरखाना व कुड़वार बाजार आना पड़ता है।

बोले क्षेत्रवासी

-इसौली गांव के साकिर अब्बास का कहना है कि बल्दीराय को तहसील का दर्जा सपा सरकार में मिला था। तहसील तो बना दी गई, लेकिन पांच साल बीत चुके हैं, अबतक सुविधाएं सिफर हैं।

-फतेहपुर गांव के देवेंद्र प्रताप सिंह पप्पू कहते हैं कि तहसील कब पूरी तरह से वजूद में आएगी, पता नहीं। घोषणा के बाद सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया गया।

-रैनापुर गांव के मनोरथ वर्मा का कहना है कि पांच साल बीत गया, अभी आधा काम ही तहसील में होता है। लोगों को जिला मुख्यालय और अमेठी जिले की मुसाफिरखाना तहसील का चक्कर लगाना पड़ता है।

-उमरा गांव के निवासी दुर्गेश सिंह बोले कि यहां तहसील मुख्यालय जैसी कोई सुविधा नहीं है। जरूरत पड़ने पर क्षेत्र के लोगों को जिला मुख्यालय तक दौड़ लगानी पड़ती है।

बोलीं एसडीएम:

उप जिलाधिकारी वंदना पांडे ने कहा कि अभी हाल में ही हमारी तैनाती हुई है। मैं जब से आई हूं, तब से यह प्रयास कर रही हूं कि तहसील क्षेत्र की जो भी समस्याएं हैं, उनका जल्द से जल्द निस्तारण करूं। रही बात रजिस्ट्री आफिस और सीओ आफिस की तो, इसके लिए उच्चाधिकारियों को लिखा पढ़ी की जाएगी। आंकड़ों पर एक नजर

कुल मतदाता- 3,54,019

पुरुष- 1,83973

महिला- 1,70,017

थर्ड जेंडर- 29


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