प्रयागराज रेलमार्ग पर जहरखुरानों का खौफ
?????????? ????????? ???????-????????? ???????? ?? ?????????? ?? ??? ??? ?? ??? ?? ???? ???? ??????? ??? ????????? ?? ??????? ?? ??? ?????? ???? ???? ???? ???? ? ????? ????????? ???? ?????? ??????? ??? ?????? ? ?????? ?? ???? ????? ???? ???? ???? ????? ???????? ???? ?? ????? ????? ???? ???????? ?? ????? ???? ???? ????? ? ?????? ?? ??????? ????? ?? ??? ???? ?????? ???? ?????? ?? ???? ????
सुलतानपुर : अयोध्या-प्रयागराज रेलमार्ग पर जहरखुरानों का खौफ है। इस रूट पर चलने वाली ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। मनवर संगम व साकेत एक्सप्रेस जैसी प्रमुख ट्रेनों में जीआरपी व आरपीएफ के जवान स्कॉट नहीं करते हैं। जिससे जहरखुरान गैंग के सदस्य बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम देते हैं। मुंबई व गुजरात के विभिन्न शहरों से आने वाले परदेशी इनके निशाने पर होते हैं। इन दिनों त्योहार का सीजन चल रहा है। ऐसे में मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, वापी व बड़ोदरा जैसे महानगरों में नौकरी करने वाले लोग अपनों के साथ पर्वों की खुशियां मनाने के लिए पैतृक गांव लौट रहे हैं। परदेश में रहने वाले जिले के ज्यादातर लोग महाराष्ट्र व गुजरात के विभिन्न शहरों से वाया प्रयागराज (इलाहाबाद) संचालित होने वाली ट्रेनों से सफर करते हैं। प्रयागराज से अयोध्या की ओर जाने वाली साकेत एक्सप्रेस, दुर्ग-नवतनवा एक्सप्रेस, बस्ती-प्रयागघाट मनवर संगम एक्सप्रेस, प्रयाग-मनकापुर सरयू एक्सप्रेस व प्रयाग-फैजाबाद पैसेंजर से वे सुलतानपुर आते हैं। इनमें से सिर्फ सरयू एक्सप्रेस में ही सुलतानपुर जीआरपी थाने से दो सिपाही रात में स्कॉट करते हैं। अन्य किसी भी ट्रेन में सुरक्षा बलों की तैनाती नहीं रहती है। लिहाजा रास्ते में जहरखुरान उन्हें झांसे में लेकर अपना शिकार बनाते हैं।
लूट के विरोध पर छात्रा को किया था लहूलुहान:
बलरामपुर जिले के उतरौला विजयपुर ग्रंट निवासी छात्रा मीरा गत दिनों पैसेंजर ट्रेन से प्रयाग से फैजाबाद जा रही थीं। मसौंधा रेलवे स्टेशन के पास अपराधियों ने उनपर जानलेवा हमला कर दिया था। मामले की जांच अभी चल रही है।
प्रारंभिक स्टेशन से ही पीछे लग जाते हैं जहरखुरान:
जहरखुरानों का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है। इनके गिरोह के सदस्य हर प्रदेश में हैं, जो इलाका बांटकर वारदातों को अंजाम देते हैं। ये महाराष्ट्र व गुजरात से यात्रा प्रारंभ करने वालों के पीछे लग जाते हैं। निशाने पर लिए गए यात्री को रास्ते में अगर वे शिकार नहीं बना पाते तो अगले स्टेशन पर सक्रिय अपने साथी को मोबाइल के जरिए टारगेट सौंप देते हैं। शिकार को बेहोश करने के लिए अमूमन डायजेपाम व अल्प्राजोलम की गोलियां चाय-बिस्किट व केले में मिलाकर देते हैं। इसके अलावा मादक-स्प्रे का भी इस्तेमाल किया जाता है।
वर्जन : बीते दो माह के दौरान सुलतानपुर जीआरपी थानाक्षेत्र में जहरखुरानी की एक भी वारदात नहीं हुई है। त्योहारों के मद्देनजर एक दारोगा व तीन सिपाहियों की क्यूआरटी गठित कर प्रयागराज-अयोध्या व लखनऊ-वाराणसी रूट की प्रमुख गाड़ियों में सिविल ड्रेस में तैनाती की गई है।
-संजय यादव, एसओ, जीआरपी