बीमार चीनी मिल बन सकती है चुनावी मुद्दा
गन्ना तौल के लिए किसानों को कई-कई दिन करना पड़ता इंतजार संकट झेल रहे किसानों का गन्ने की खेती से हो रहा मोहभंग
सुलतानपुर: 1984 में तत्कालीन सरकार ने किसान सहकारी चीनी मिल की स्थापना की। इससे जिलेभर के हजारों किसानों को मुंहमांगी मुराद मिल गई। गन्ने की खेती को रोजगार बनाना शुरू कर दिया। वर्ष 1993 के बाद यह मिल लगातार घाटे का सौदा बनती जा रही है। बूढ़ी हो चुकी मिल की मरम्मत के नाम पर यूं तो हर साल मोटी रकम खर्च की जा रही। इसके बावजूद इसकी दशा गंभीर है।
वहीं, तकनीकी खामियों का झटका किसान झेल रहे हैं। समय से न तो उनकी उपज बिक रही और न ही भुगतान मिल पा रहा। ऐसे में यह समस्या चुनावी मुद्दा बन सकती है।
चुनाव में जनप्रतिनिधियों को आती याद:
चीनी मिल विधानसभा व लोकसभा चुनाव में जनप्रतिनिधियों को याद आती है। किसान प्रति वर्ष मरम्मतीकरण की मांग उठाते हैं। बावजूद इसके करीब एक दशक से समस्या ज्यों की त्यों है।
करीब 15 बार बंद हुई चीनी मिल:
गन्ना पेराई सत्र 2021-22 में मिल जर्जर संयंत्रों व नो-केन के चलते 15 बार बंद हो चुकी है। इससे कड़ाके की ठंड में आने वाले सैकड़ों किसानों को प्रतिदिन दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है।
मरम्मत पर होते हैं करोड़ों खर्च:
हर गन्ना पेराई सत्र में सहकारी चीनी मिल के जर्जर यंत्रों की मरम्मत पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। पेराई सत्र 2020-21 में करीब सवा से डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके बाद भी तकनीकी खामियां दूर नहीं हो पा रही हैं।
आठ लाख 50 हजार क्विंटल गन्ना पेराई का लक्ष्य:
सहकारी चीनी मिल में वर्तमान सत्र में आठ लाख 50 हजार क्विंटल गन्ना पेराई का लक्ष्य रखा गया है। जनवरी में दो पखवारे बीत चुके हैं, अबतक तक सिर्फ तीन लाख पांच हजार क्विंटल पेराई हो सकी।
नो-केन के चलते बंद हुई मिल:
बुधवार की सुबह करीब पांच बजे से चीनी मिल में गन्ने की अनुपलब्धता के कारण गन्ना पेराई का कार्य ठप हो गया है।
जनप्रतिनिधियों की उदासीनता:
जनप्रतिनिधियों द्वारा सामूहिक रूप से कोई ठोस पहल न करने के कारण भी चीनी मिल जिले के हजारों किसानों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। इसके चलते गन्ने की खेती से उनका मोहभंग होता जा रहा है।
आंकड़ों पर नजर: 07 तौल केंद्र
2659 हेक्टेयर-बोआई का क्षेत्रफल
04 लाख-जारी पर्ची
310 मिल में कर्मियों की संख्या
145 सीजनल
50 संविदा
30 दैनिक वेतनभोगी
85 स्थाई
वर्जन::
प्लांट जर्जर हो गया है। बेहतर कर चलाने का प्रयास किया जा रहा है। गन्ना किसानों की समस्याओं का ध्यान रखा जाता है।
-प्रताप नारायण, प्रबंधक