देखरेख के अभाव में मर रहे चूजे, बेकार हो रहे कड़कनाथ के अंडे
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत सकरसी गांव में संचालित हो रहा सरकारी हैचरी फार्म स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा गया है संचालन का जिम्मा उत्पादन में हो रही दिक्कत
सुलतानपुर: राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत मनरेगा योजना से बने पहले हैचरी फार्म की शुरुआत फ्लाप हो रही है। कड़कनाथ के मुर्गो का उत्पादन के लिए लाए गए चूजे देखरेख के अभाव में मर रहे हैं। इससे मुख्य विकास अधिकारी के ड्रीम प्रोजेक्ट को साकार होने पर सवाल खड़ा हो रहा है।
मध्यप्रदेश के झबुआ जिले की पहचान बने कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गो का जिले उत्पादन कर लाभ कमाने की योजना उद्घाटन के पहले ही दम तोड़ रही है। योजना थी कि इससे स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं स्वारोजगार से जोड़ा जाएगा और उन्हें अच्छा मुनाफा होगा। इसके लिए सकरसी ग्राम पंचायत में हैचरी फार्म का संचालन आजीविका मिशन के तहत किया जा रहा है।
हैचरी फार्म पर अंडे से चूजे तैयार करने को मशीन आई है जो बिजली व इन्वर्टर दोनों से संचालित हो रही है। बिजली जाने पर वह आठ घंटे इन्वर्टर से चलती है। महीने भर में करीब चार सौ से अधिक अंडे हैचरी फार्म में पहुंचे जो बिजली की पर्याप्त आपूर्ति न होने से दो सौ से अधिक अंडे मशीन में ही तापमान कम होने से बेकार हो गए। केवल 53 चूजे ही तैयार हुए, जिसमें देखरेख के अभाव में दस चूजों की भी मौत हो गई है। पहले ही चरण में योजना जानकारी के अभाव में पूरी तरह फेल दिख रही है।
चूजे व अंडों के खराब होने की जानकारी अभी नहीं मिली है। अगर ऐसा है तो जानकारी कर वहां पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था कराई जाएगी। हैचरी फार्म का जल्द ही उद्घाटन कर इसको व्यवसायिक रूप दिया जाएगा। इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
-राम उदरेज यादव, परियोजना निदेशक व बीडीओ