किसानों को डीएपी की दरकार, समितियों पर हाहाकार
चार घंटे में ही खत्म हो गई सैकड़ों बोरी खाद
सुलतानपुर : रबी फसल की बोआई के वक्त ही रासायनिक उर्वरक की किल्लत पैदा हो गई। समितियों पर डीएपी के लिए हाहाकार मचा है। तो बाजार में उर्वरक विक्रेताओं द्वारा अधिक कीमत वसूली जा रही है। पारसपट्टी सहकारी संघ पर काफी दिनों बाद डीएपी पहुंची, लेकिन वह चंद किसानों को ही मिल सकी।
आवंटन से अधिक मांग होने के कारण यहां भी हर दिन अफरा-तफरी की स्थिति बनी रहती है। दिसंबर माह में गेहूं की बोआई अपने चरम पर है, ऐसे में किसानों को खाद व बीज की जरूरत भी अधिक मात्रा में है। किसान इस बार डीएपी के इंतजार में फसलों की बोआई को पीछे ले जाने के लिए मजबूर हुए हैं। करीब सप्ताह भर बाद पारसपट्टी सहकारी संघ पर एक रैक डीएपी पहुंची तो किसानों की भीड़ सुबह से ही खाद लेने के लिए जमा हो गई। लाइन लगाकर खाद का वितरण किया गया। गोदाम के चौकीदार माताफेर पटवा ने बताया कि महज चार घंटे में ही दोपहर तक 439 बोरी डीएपी खत्म हो गई, जबकि अभी भी बहुत से किसानों लाइन में लगे खुद की बारी का इंतजार करते रहे। समितियों से जुड़े हजारों किसान परेशान हैं। मजबूर होकर वे दुकानों से महंगे दामों पर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं। संघ के सचिव सत्यदेव दूबे ने बताया कि जल्द ही डीएपी की खेप फिर से लाई जाएगी और वितरित किया जाएगा। करौंदीकला संसू के अनुसार सहकारी समिति कटघर प्रतापपुर के साथ आसपास की किसी समिति में डीएपी नहीं है। प्रतापपुर के अध्यक्ष राज कुमार तिवारी ने बताया कि इसी हफ्ते रैक आने के आसार हैं। समितियों पर इसके बाद ही उर्वरक उपलब्ध हो पाएगी। किसानों को उनके आधार कार्ड पर एक-दो बोरी के हिसाब से वितरण किया जाएगा।