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26.77 करोड़ की बकाएदार है किसान सहकारी चीनी मिल

बीते वर्ष 2442 हेक्टेयर में गन्ने की बोआई हुई थी। इसके सापेक्ष गन्ना किसानों ने मुनाफा देखा तो गन्ने की फसल का रकबा 247 हेक्टेयर बढ़ा है लेकिन पेराई क्षमता कम हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 12:59 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 12:59 AM (IST)
26.77 करोड़ की बकाएदार है किसान सहकारी चीनी मिल
26.77 करोड़ की बकाएदार है किसान सहकारी चीनी मिल

दिनेश सिंह, कूरेभार (सुलतानपुर)

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सरकार दावा कर रही कि गन्ना किसानों का भुगतान शत प्रतिशत हो चुका है। किसान सहकारी चीनी मिल पर कुल 26 करोड़ 77 लाख रुपये बकाया है। इसमें 77 लाख रुपये किसानों के गन्ने का भुगतान है तो 26 करोड़ कर्मचारियों के मानदेय व वेतन का बकाया है। इसका मिल संचालन पर सीधा असर पड़ेगा। मिल का पहिया सोमवार को डोल तो गया लेकिन इस बार भी मिल प्रबंधन के समक्ष मुश्किलें कम नहीं हैं।

रकबा बढ़ा, पेराई लक्ष्य घटा : बीते वर्ष 2,442 हेक्टेयर में गन्ने की बोआई हुई थी। इसके सापेक्ष गन्ना किसानों ने मुनाफा देखा तो गन्ने की फसल का रकबा 247 हेक्टेयर बढ़ा है, लेकिन पेराई क्षमता कम हो गई है। पिछले वर्ष पेराई का लक्ष्य 15 लाख क्विंटल था लेकिन मात्र सात लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी। रकबा बढ़ने के बावजूद इस वर्ष पेराई लक्ष्य आठ लाख 50 हजार क्विंटल हो गया है।

गन्ना डंप होने के बाद चलेगी मिल : चार दिन पूर्व 45 हजार क्विंटल गन्ने का पर्ची इंडेंट जारी किया जा चुका है। किसान अभी गन्ना नहीं तैयार कर पा रहे हैं। यार्ड में गन्ना एकत्रित होने के बाद मिल को चालू किया जाएगा।

तीन माह में 20 बार बंद हुई थी मिल : पिछले वर्ष गन्ना पेराई के दौरान मिल में कही यांत्रिक खराबी तो कही गन्ने के अभाव में मिल का सफल संचालन नहीं हुआ। लगभग बीस बार चीनी मिल का पहिया थमा था। इस दौरान गन्ना किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

32 माह से कर्मियों को नहीं मिला वेतन : चीनी मिल पर कर्मचारियों का 32 माह का वेतन 26 करोड़ रुपये बकाया है। रुपये न मिलने से कर्मचारी भुखमरी की कगार पर पहुंच गए है। किसी के परिवार की शादी रुक गई तो किसी का दवा के अभाव में इलाज नहीं हो पा रहा है।

कर्मियों ने बयां किया दर्द : गन्ना पर्यवेक्षक बांके लाल धूरिया ने बताया कि एक दिसंबर को बेटी की शादी तय की थी, लेकिन वेतन न मिलने से शादी रद कर देना पड़ा। गन्ना सुपरवाइजर अवधेश सिंह ने बताया की वेतन न मिलने से बच्चों की फीस नहीं जमा हो रही हैं, जिससे पढ़ाई ठप हो गई है। लिपिक रमाशंकर ने बताया की वेतन न मिलने से वह अपना इलाज नहीं करवा पा रहा है। टोकन इंचार्ज लल्लन सिंह ने बताया की 2008 से पीएफ व 32 महीने का वेतन न मिलने से खेती किसानी करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

बोले प्रबंधक : मिल प्रबंधक प्रताप नारायण ने बताया जर्जर और पुराना प्लांट हो जाने से तकनीकी खामियां आ जाती हैं। फिलहाल प्लांट का मेंटेनेंस बेहतर करवाकर मिल को चालू किया गया है।


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