सहालग में महंगा हुआ बग्घी का सफर, हो रही जेब ढीली
योगेश यादव सुलतानपुर घरवालों की दिली ख्वाहिश होती है कि उनका बेटा शादी करने के लि
योगेश यादव, सुलतानपुर : घरवालों की दिली ख्वाहिश होती है कि उनका बेटा शादी करने के लिए दुल्हन के दरवाजे पहुंचे तो लोग देखते रह जाएं। मौजूदा समय में एक बार फिर पुरानी रवायत लौट आई है। दूल्हे राजा कार व लग्जरी वाहनों की जगह ससुराल पहुंचने के लिए अब शान की सवारी बग्घी व पालकी को वरीयता दे रहे हैं, लेकिन महंगाई के चलते कुछ ही लोगों को यह शौक पूरा हो पा रहा है।
कोरोना संक्रमण के चलते बीते दो वर्षों से शादियों में अवरोध आ गया था, इस वर्ष सहालग का मौसम शुरू होते ही शादियों की धूम मच गई। हालात यह है कि लग्न के दिन जिले का कोई मैरेज लान व होटल खाली नहीं है। दुल्हन के दरवाजे तक पहुंचने के लिए बग्घियों की बुकिग में लोगों को लंबी भागदौड़ करनी पड़ रही है। स्थिति का संभालने के लिए संचालक इसे गैर जिले से मंगवाकर मुंहमांगी कीमत वसूल कर रहे है। इससे ट्रांसपोर्टर की महंगी से महंगी लग्जरी गाड़ियों के व्यवसाय के झटका लगा है।
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ईदगाह चौराहा निवासी इरफान बताते हैं कि लगभग 20 सालों से यह व्यवसाय कर रहे हैं। वह बताते हैं उनके पास एक से एक खूबसूरत बग्घी है। इसका आठ से दस हजार रुपये तक चार्ज करते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार तो हालात यह हैं कि बग्घी रथ की इतनी मांग रही कि बाहर जिलों से मंगवाना पड़ रहा है।
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प्रतापगढ़ जिले के करम अली कहते हैं कि उनका जिले से बहुत पुराना नाता है। जिले से सीमा से सटा होने के चलते उनकी अधिकांश बुकिग इसी जिले में होती है। उनके पास करीब एक दर्जन बग्घी है। वह रोड लाइट के साथ 25-30 हजार रुपये लेते हैं। सात दिसंबर तक की लगन तक उनके पास कोई भी दिन खाली नहीं है।
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सिरवारा रोड निवसी लहरी बैंड के मालिक हसन अली बताते हैं कि लोग कार की अपेक्षा घोड़ा बग्घी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। लोगों की विशेष मांग पर अयोध्या, आजमगढ़, जौनपुर, शाहगंज से बग्घियां मंगवा रहे हैं। इसका खर्च करीब तीस हजार से ऊपर पहुंच जाता है।
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कोतवाली के पीछे रहने वाले मोहनी बैंड के मालिक सुदर्शन बताते हैं कि आमतौर पर लोग बग्घी के साथ उनके रथ को पसंद कर रहे हैं। लगन इतनी तेज है कि बीते दो साल से रुकी बुकिग ही पूरी हो पा रही है। इस वर्ष की शादी के लिए रथ के लिए आने वाले लोगों को बैरंग लौटाना पड़ रहा है।