नदी तट पर अतिक्रमण का नहीं हो सका चिह्नांकन
प्रशासनिक हीला-हवाली का खामियाजा प्राकृतिक धरोहर झेल रही। वहीं शहर में ही अब भी दर्जनों ऐसे निर्माण हैं जो कि तट से सटकर बनाए गए हैं।
सुलतानपुर : राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के निर्देश के बावजूद विभागों में सामंजस्य न होने से गोमती के फ्लड जोन का चिह्नांकन एक साल बाद भी नहीं किया गया है। अब इसे घटाकर तट क्षेत्र 50 मीटर किए जाने के के बाद भी सिचाई, राजस्व, विनियमित क्षेत्र और नगर पालिका अपने क्षेत्राधिकार में तटों पर हुए अवैध कब्जों की सूचना नहीं तैयार कर सके हैं।
बीते दिनों तट क्षेत्र का दायरा घटाए जाने के बाद जिला नगरीय विकास अभिकरण की ओर से प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत नदी तट के किनारों पर आबाद 35 से अधिक लाभार्थी इस जद से बाहर हो सके और इनके आवास निर्माण पर लगा संशय अब दूर हुआ है। वहीं, शहर में ही अब भी दर्जनों ऐसे निर्माण हैं, जो कि तट से सटकर बनाए गए हैं। गोलाघाट पुल के पश्चिम दिशा में दोनों किनारों पर पक्के निर्माण हैं। विनियमित क्षेत्र में आने वाले अनधिकृत निर्माण को हटाने की पहल नहीं की गई है।
अधिशाषी अभियंता सिचाई पंकज गौतम ने बताया कि तट क्षेत्र का दायरा घटने के बाद विभाग के मुख्यालय से इसके मानचित्र तैयार करने के निर्देश मिले हैं। संबंधित विभागों से पत्राचार किया गया है। रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद अवैध कब्जों की सूची तैयार की जाएगी।
तय नहीं हैं विभागीय उत्तरदायित्व :
नदी का तटवर्ती व जल क्षेत्र सिचाई विभाग के अधीन है। वहीं, तट से कुछ आगे का भूखंड संबंधित स्थानीय निकाय का होता है। इन सभी क्षेत्रों का नक्शा तैयार करने की जिम्मेदारी राजस्व विभाग की है। ऐसे में सिचाई विभाग को यह दायित्व दिया गया है कि वह रिमोट सेंसिग के जरिए तट क्षेत्र मानचित्र तैयार करें। यह प्रक्रिया विभाग बजट के अभाव में पूरा नही कर सकी है।