बेहतर आबोहवा के लिए हो रहीं कोशिशें
चौड़ी हो रही सड़कों के किनारों पर प्रतिरूपण पद्धति के पौधों से हरियाली फैलाने की कार्ययोजना है। पर्यावरण की बेहतरी के लिए निजी स्तर पर भी प्रयास तेज हुए।
गोपाल पांडेय, सुलतानपुर
स्वच्छता अभियान की जड़ें पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी हैं। कोरोना संक्रमण ने लोगों को स्वच्छ रहने की सीख दी। साफ-सफाई का यह सिलसिला जारी रहे, इसके प्रयास किए गए हैं। कचरे के बेहतर प्रबंध की शुरुआत हो चुकी है। आदि गंगा गोमती को निर्मल रखने के लिए 63 करोड़ रुपये की परियोजना से एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाए जा रहे हैं। इसके साथ चौड़ी हो रही सड़कों के किनारों पर क्लोन पैर्टन (प्रतिरूपण पद्धति) के पौधों से हरियाली फैलाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। पर्यावरण की बेहतरी के लिए निजी स्तर पर भी प्रयास तेज हुए हैं। सब कुछ सही रहा तो इस वर्ष आबोहवा बेहतर हो जाएगी।
प्रदूषण मुक्त होगी गोमती, लगेंगे तीन प्लांट :
जिले की सीमा में तकरीबन 209 किलोमीटर में गोमती नदी का प्रवाह है। इनमें शहरी क्षेत्र के चार बड़े हथिया, गभड़िया, गंदा और करौंदिया नाला गोमती को सर्वाधिक प्रदूषित करते हैं। प्रतिदिन तकरीबन 15 एमएलडी (मिलियन लीटर पर-डे) दूषित पानी की निकासी होती है। इसे साफ कर नदी में प्रवाहित करने के लिए गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई चतुर्थ लखनऊ की देखरेख में हथिया नाला पर स्थापित एसटीपी की क्षमता पांच से दस एमएलडी की जा रही है। वहीं, गभड़िया और करौंदिया नाला पर पांच-पांच तथा गंदा नाला पर दो एमएलडी की क्षमता का एसटीपी स्थापित किया जा रहा है। इसके साथ पंपिंग स्टेशन भी होंगे, जो कि दूषित पानी को बड़ी क्षमता के एसटीपी पर साफ करने के लिए प्रयोग किए जाएंगे। सफाई क्षमता 17 एमएलडी होने पर गोमती नदी दूषित होने की गिरफ्त से बाहर आ सकेगी।
कचरे से बनेगी जैविक खाद :
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की गाइडलाइन में कचरा प्रबंधन नए सिरे से किए जाने की व्यवस्था शुरू की जा रही है। इसके लिए आधुनिक सयंत्रों वाला पारस केंद्र बनाया गया है। मॉडल सिटी के रूप में शहर को विकसित करने और इसे साफ-सुथरा रखने की दिशा में इस प्रयास से लोगों को कूड़े-कचरे से निजात मिलेगी और पर्यावरण बेहतर होगा। इसके जरिए प्रतिदिन निकलने वाल तकरीबन 53 एमटी (मीट्रिक टन) कचरे से ट्रांसपोर्ट नगर में डंपिंग स्थल पर गीला कूड़ा (बायोडिग्रेडिबल से जैविक खाद का निर्माण व सूखे कचरे (रिसाइकिलेबल) को नीलाम किया जाएगा।
विशेष पौधों से फैलेगी हरियाली :
सड़कों पर धुआं उड़ाते वाहनों से प्रदूषित होती हवा को स्वच्छ बनाने के लिए सड़कों के किनारों पर तीन पंक्तियों में वृहद पौधारोपण कराया जाएगा। प्रतिरूपण पद्धति से तैयार फाइकस प्रजाति के यह पौधे तीन साल में पूरी बढ़त पा सकेंगे। यहां की हाईटेक पौधशालाओं में इन पौधों को तैयार किया जा रहा है।
अधिशासी अभियंता व परियोजना प्रभारी गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई चतुर्थ लखनऊ राकेश कुमार ने बताया कि प्लांट की स्थापना के लिए तीनों नालों पर भूमि अधिग्रहीत कर ली गई है। इसकी रूपरेखा और कार्ययोजना बन गई है। दो प्लांट पर निर्माण कार्य शुरू किया गया है।