आइसीयू में जिला अस्पताल, इमरजेंसी सेवाएं बदहाल
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सुलतानपुर : जिला अस्पताल खुद आइसीयू में नजर आ रहा है। इमरजेंसी सेवाएं भी यहां बदहाल हैं। अपेक्षित चिकित्सा के अभाव में आपातकालीन वार्डों में भर्ती मरीजों का दर्द कम होने के बजाए बढ़ रहा है। मोटे कमीशन के चक्कर में निजी मेडिकल स्टोर्स पर 240 रुपये में मिलने वाला इंजेक्शन तकरीबन हर मरीज को लिखा जा रहा है। जबकि यह एंटीबायोटिक इंजेक्शन जिला अस्पताल की फार्मेसी में मुफ्त व भारतीय जन औषधि केंद्र पर मात्र 23 रुपये में उपलब्ध है। अस्पताल प्रशासन अनजान बना हुआ है। मरीज व उनके तीमारदार परेशान हैं। जिला अस्पताल की आपातकालीन सेवा की पड़ताल करती एक रिपोर्ट..
बोले मरीज, कोई नहीं पूछने वाला
दूबेपुर ब्लाक क्षेत्र के नोनरा गांव निवासी राधेश्याम (63) ने बताया कि एक हफ्ते से उनको बुखार आ रहा है। खून की जांच में टायफाइड की पुष्टि होने पर गत शुक्रवार को उन्हें भर्ती किया गया था। दो दिन बीत गए आराम नहीं हो रहा है। करीब पांच सौ रुपये का इंजेक्शन वे बाहर से खरीद चुके हैं। अमेठी जिले के उलरा चंदौकी (शाहगढ़) निवासी राम शरण गत शनिवार को सड़क हादसे में जख्मी हो गए थे। उनके जीजा हंसराज का कहना है कि भर्ती करने के बाद कोई डाक्टर देखने तक नहीं आया। अस्पताल में आते ही एक इंजेक्शन बाहर से लिख दिया गया, जो 240 रूपये में मिला। शुक्रवार शाम से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती दोस्तपुर ब्लाक के खोजापुर गांव निवासी उच्च रक्तचाप की समस्या से पीड़ित राम प्रसाद ¨सह की बहू रीना व बेटी उर्मिला कहती हैं कि यहां पर कोई पूछने वाला नहीं है, भले ही मरीज तड़प-तड़प कर मर जाए। तीन दिनों में सिर्फ एक बार चिकित्सक चेकअप करने आए। समुचित इलाज न मिलने से मरीज की हालत जस की तस बनी है।
पैरासिटामोल व सि¨रज की किल्लत
इमरजेंसी में जरूरी दवाओं की किल्लत है। इस समय जिले में वायरल फीवर का प्रकोप है और अस्पताल की आपातकालीन सेवा में पैरासिटामोल इंजेक्शन की उपलब्धता तक नहीं है। इतना ही नहीं सि¨रज की भी कमी है। मरीज इन्हें बाहर से खरीदने को मजबूर हैं।
कोट
बाहर से दवाएं लिखने और इलाज में लापरवाही बरतने वाले चिकित्साकर्मियों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जरूरी दवाओं व इंजेक्शन की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराई जाएगी।
-डॉ. वीबी ¨सह, सीएमएस।