विभागों की रार निर्बाध सफर में रोड़ा
लखनऊ-वाराणसी फोरलेन पर बंधुआकला में टू-लेन पर दौड़ते हैं वाहन
सुलतानपुर: आवागमन सहज बनाने की राह में आई अड़चनें दूर नहीं हो रही हैं। आठ साल बाद भी जमीन का विवाद खत्म न होने से लखनऊ-वाराणसी फोरलेन तकरीबन 300 मीटर दूरी में टू-लेन है। अचानक सड़क की चौड़ाई कम होने से बंधुआकला में आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
जिला मुख्यालय से लखनऊ तक तकरीबन डेढ़ सौ किमी का सफर तेज और सुविधाजनक बनाने के लिए एनएचएआइ (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की ओर से जुलाई 2014 में 1975.83 करोड़ की लागत से हाईवे को फोर लेन में परिवर्तित करने की कार्य योजना बनाई गई। भूमि का अधिग्रहण और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 2018 में एनएचएआइ ने इस पर काम शुरू किया। लखनऊ तक मार्ग दो वर्ष में आवागमन के लिए तैयार हो गया। इस दौरान रेलवे की जमीन को लेकर विवाद खत्म न होने से कुछ हिस्सा अबतक अधूरा है।
रेलवे से सहमति न बनने से बढ़ा संकट
जिला मुख्यालय से दस किमी दूर बंधुआकला रेलवे स्टेशन के बाहर का हिस्सा रेलवे के स्वामित्व में है। फोर लेन निर्माण के समय एनएचएआइ की ओर से इसे अधिग्रहित करने का प्रयास किया गया। रेलवे से सहमति न बन पाने के चलते अब तक इस स्थान पर सड़क का चौड़ीकरण नहीं हो सका। लखनऊ से आने वाले वाहनों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक है। फोर लेन से अचानक टू लेन पर आने के दौरान गतिमान वाहन असंतुलित हो जाते हैं और दुर्घटनाएं होती हैं।
स्थानीय निवासी परेशान
बंधुआकला कस्बे में इस तरह की स्थिति से यहां के निवासी और व्यवसायी परेशान हैं। कारोबारी विक्रम ने कहा कि सड़क संकरी होने से फुटपाथ पर दुकान लगानी पड़ती है। डिवाइडर न होने से वाहनों के आवागमन का दबाव दरवाजे तक रहता है। कभी कोई अप्रिय घटना हो सकती है। यहीं के संजय ने कहा कि खुद का वाहन खड़ा करने की जगह नहीं हैं। पूरे फुटपाथ पर दुकानें सजी हैं। राहुल ने कहा कि सड़क पर लैंप नहीं लग सके हैं। रात में अंधेरा होने पर परेशानी होती है।
एनएचएआइ ने जितनी जमीन मांगी थी और भुगतान किया है, वह उसे उपलब्ध कराई गई है। प्राधिकरण की ओर से रेलवे की और जमीन लेने का प्रस्ताव आने पर विभाग के नियमों के तहत इसे उपलब्ध कराया जाएगा। सड़क चौड़ीकरण के लिए विभाग की ओर से जमीन देने में हीलाहवाली नहीं की जाएगी।
-सुरेश कुमार सप्रा, मंडल रेल प्रबंधक, उरे लखनऊ मंडल