किराना दुकान कर आराधना ने बेटियों को बनाया काबिल
रंग लाया संघर्ष बेटियां बनीं शिक्षिका डटकर चुनौतियों का सामना किया।
दिनेश सिंह, कूरेभार (सुलतानपुर)
परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हों लेकिन, मां अपने बच्चों के लिए जान लड़ा देती है। जब जीतकर या हारकर बच्चा लौटता है तो मां ही है, जो कि मुस्कुराकर उसे अपनी गोद में समेट लेती है। ऐसी ही एक मां है कूरेभार कस्बे की आराधना। पति के निधन के बाद परिवार सदमे में था। बच्चों को तालीम कैसे दिलाई जाए, यह एक बड़ा सवाल था। लेकिन, आराधना ने हिम्मत नहीं हारी और चुनौतियों का डटकर सामना कर बेटियों को शिक्षिका बनाया।
कस्बा निवासी आराधना के पति राकेश कुमार कसौधन की 1993 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। पांच बेटियों की परवरिश और पढ़ाई-लिखाई कैसे होगी, ये सवाल खड़े हो गए। ऐसे में आराधना ने किराना दुकान खोलकर संघर्ष शुरू किया। लगन और मेहनत के बल पर बच्चों की शिक्षित बनाने के साथ अच्छे मुकाम पर पहुंचाया। बड़ी बेटी आकांक्षा का चयन डेढ़ वर्ष पूर्व गोंडा के आर्य नगर स्थित परिषदीय विद्यालय में बतौर शिक्षक पद पर हुआ तो खुशी की लहर दौड़ गई।
फिर क्या था जिदगी की गाड़ी पटरी पर दौड़ने लगी। परिवार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दूसरी बेटी दीपाली कसौधन का 2019 में खंड विकास अधिकारी के पद पर चयन हुआ लेकिन, उसने ड्यूटी ज्वाइन नहीं की। दीपाली को शिक्षण कार्य में दिलचस्पी है। एक सप्ताह पूर्व दीपाली व बहन दिव्या का चयन एक साथ शिक्षिका पद पर हुआ है। घर में माह भर पहले ही दीपावली खुशियां छा गईं। अन्य दो बेटियां रक्षा कसौंधन, केएनआई से बीए के साथ-साथ पीसीएस की तैयारी कर रही है तो सबसे छोटी बेटी अंशिका सेंट जेवियर्स में अध्यनरत है। उनके इस कठिन परिश्रम व संघर्ष की लोग आज भी मिसाल देते हैं।