एक सत्य स्वीकार करने से हजारों अपराध से मिलती है मुक्ति
जीवन की वास्तविकता समझकर हर क्षण अच्छे कर्म करने चाहिए
सुलतानपुर : देवराजपुर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास शशिकान्त महाराज ने कहा कि एक बार भगवान शिव और सती दोनों ही कथा सुनने गए। भगवान शिव ने कथा को सुन लिया, मां सती ने कथा में बैठकर संत पर संदेह किया और कथा का अपमान कर दिया। कथा को कोई बोर हो कर सुनता है तो कोई विभोर हो कर सुनता है। भगवान शिव ने कथा को सुना तो आनंद की प्राप्ति हुई, मां सती कथा में बैठ कर कथा का श्रवण नहीं किया। परिणाम हुआ कि भगवान शिव को प्रभु का दर्शन हुआ तो प्रभु पहचान गए पर मां सती नहीं पहचान पाई। मानस में तीन देवियां है जिन्होंने तीन तरीके से भगवान को पाना चाहा। एक ने परीक्षा से, दूसरी ने समीक्षा से और तीसरी ने प्रतीक्षा से पाना चाहा। परीक्षा से मां सती ने समझना चाहा भगवान समझ नहीं आए। समीक्षा से शूर्पनखा ने समझना चाहा भगवान समझ नहीं आए। पर प्रतीक्षा से मां सबरी ने पाना चाहा तो भगवान पैदल चलकर दरवाजे पर आए। उन्होंने कहा कि हजार अपराध करने से अच्छा है की हम एक सत्य को स्वीकार लें। तो हम हजार अपराध करने से बच जाएंगे। जगदीश उपाध्याय, अजय उपाध्याय, सुशील पांडेय, विवेक, सुभाष, राजेन्द्र पांडेय सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
अल्पायु में ही ध्रुव को प्राप्त हुआ भगवान का दर्शन
सुलतानपुर : गुरेगांव बनपुरवा दुर्गा मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन बुधवार को कथा व्यास पं. उदय भनाचार्य (गरुण जी) ने श्रोताओं को ध्रुव चरित्र और प्रहलाद चरित्र की कथा सुनाई। ध्रुव चरित्र व भक्त प्रहलाद की कथा सुनकर श्रोता भावविभोर हो उठे। कथा व्यास ने कहा कि ध्रुव और प्रहलाद जैसे भक्तों को भी घोर कष्टों का सामना करना पड़ा था, लेकिन कठिन दौर में भी उन्होंने भगवान के नाम का सहारा नहीं छोड़ा था। ध्रुव जी ने अल्प आयु में ही भगवान के दिव्य दर्शन प्राप्त किए थे। उन्होंने कहा कि हमे इस जीवन की वास्तविकता को समझकर हर क्षण अच्छे कर्म और भगवान का भजन करते रहना चाहिए। मुख्य यजमान दुर्गा प्रसाद मौर्य व उनकी पत्नी दुरपती से व्यास पीठ की पूजा कराई। इस मौके पर सियाराम मौर्य, शिवपूजन, उमाशंकर, बाबूराम यादव समेत काफी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।