खत्म होगा 40 साल का इंतजार, दौड़ेगी सपनों की रेल!
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सुलतानपुर : अवध व पूर्वांचल क्षेत्र के लाखों लोगों का 40 साल लंबा इंतजार अब खत्म होने वाला है। पांच जिलों को जोड़ने वाली शाहगंज-ऊंचाहार रेल परियोजना के लिए मोदी सरकार अपने अंतिम बजट में खजाना खोल सकती है। इस नई रेल लाइन को बिछाने के लिए पहला सर्वे अस्सी के दशक में हुआ था, मगर पर्याप्त बजट के अभाव में आज तक यह प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ सका।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की 1980 में घोषणा हुई थी। तब से लेकर वर्ष 2012 तक कई बार सर्वे कराया गया। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू की गई, लेकिन बाद में यह महत्वाकांक्षी परियोजना केंद्र सरकार की उपेक्षा का शिकार बन गई। 2004 से लगातार दस साल तक कांग्रेस की सरकार केंद्र में सत्तासीन रही, मगर इस परियोजना के लिए बजट नहीं आवंटित किया गया। रेल मार्ग बनाए जाने की चर्चा सुनते-सुनते बच्चे जवान हो गए, पर ट्रेन की छुकछुक नहीं सुनाई पड़ी। 2013 में यूपीए सरकार ने शाहगंज-ऊंचाहार रेल परियोजना के लिए बजट पास किया तो लोगों की उम्मीदें फिर से जगीं। प्रोजेक्ट के हिसाब से फिलहाल बजट उपलब्ध न होने से काम रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि मोदी सरकार 2019-20 के बजट में इस प्रोजेक्ट के लिए अपेक्षित बजट आवंटित करेगी।
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प्रथम चरण में रायबरेली-अमेठी के बीच रेललाइन बिछाने का काम किया जाएगा। अभी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। प्रोजेक्ट पूरा होने में तीन से चार साल का समय लगेगा।
सतीश कुमार, मंडल रेल प्रबंधक (लखनऊ)
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इस रेलमार्ग के बन जाने से रायबरेली, अमेठी, प्रतापगढ़, सुलतानपुर व जौनपुर जिलों की कनेक्टिविटी आसान होगी। लाखों नागरिकों को आवागमन में सहूलियत मिलेगी।
वीरेंद्र मिश्रा, अधिवक्ता
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अमेठी से सुलतानपुर जाने के लिए रेलमार्ग नहीं है। जिससे व्यवसायियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शाहगंज-ऊंचाहार रेललाइन बिछने से यह समस्या दूर हो जाएगी।
शैलेंद्र शुक्ला, व्यवसायी