आवास के लिए 2,776 अपात्रों को बना दिया पात्र
तीन साल से यहां की नगर पालिका और तीन नगर पंचायतों में पीएम शहरी आवास योजना के तहत शहरी निर्बलों को आवास मुहैया कराने की योजना चल रही रही है।
सुलतानपुर : शहरी गरीबों को आवास मुहैया कराने की पीएम शहरी आवास योजना में बड़े घपले का खुलासा हुआ है। बीते दो वर्षों से आउट सोर्सिग के जरिए एक संस्था को पात्रों को आवास देने के लिए जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) की ओर से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट डीपीआर (डीपीआर) तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। इन लोगों ने अपना स्वार्थ के लिए 2,776 अपात्रों को आवास के लिए पात्र बना दिया। इस संस्था को निदेशक सूडा (राज्य शहरी विकास अभिकरण) ने विभाग से निष्कासित कर दिया है।
बीते तीन साल से यहां की नगर पालिका और तीन नगर पंचायतों में पीएम शहरी आवास योजना के तहत शहरी निर्बलों को आवास मुहैया कराने की योजना चल रही रही है। इसके तहत 6,975 लोगों को आवास आवंटित करने की प्रक्रिया पूरी की गई।
संस्तुति पाने के दौरान हुआ खुलासा : इन आवेदनों पर आवास आवंटन के लिए जब प्रस्ताव सूडा भेजा गया तो विभागीय जांच में प्राथमिक रूप से इतनी बड़ी संख्या में अपात्र पाए जाने पर मुख्यालय ने इसकी जांच शुरू की। डीपीआर संबंधित एसडीएम, ईओ और नामित संस्था की ओर से तैयार की जाती है। बड़ी संख्या में अपात्रों के लिए आवास की संस्तुति किए जाने पर इसका राजफाश हुआ है। हकीकत परखने के बाद सूडा के जांच दल ने इस हरकत के लिए जिम्मेदार संस्था को डीपीआर का कार्य करने से प्रतिबंधित कर दिया है। सूडा के निदेशक यशू रुस्तगी के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। इन अपात्रों की आवास किश्त रोक दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। शेष पात्र पाए गए 4,199 पात्रों को विभाग की ओर से यथावत योजना के तहत आवास के लिए सहायता मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं।
जिम्मेदार के बोल
डीपीआर तैयार करने में सहयोग करने वाली संस्था पूर्व के विभागाध्यक्ष के कार्यकाल में नामित की गई थी। उसकी कार्यप्रणाली पर संदेह होने के चलते जांच कराई गई। राज्य मुख्यालय इस कार्य के लिए नए संस्थान को नामित करेगा।
सुनीता सिंह, परियोजना अधिकारी, डूडा