टापबाक्स-वसूली मामले में वाचर को हटाया, वन रक्षक पर तलवार
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जागरण संवाददाता, सोनभद्र : राजा को पता नहीं, भीलों ने वन बांट लिया। कुछ ऐसा ही खेल जिले के वन क्षेत्रों में चल रहा है। वन संपदा की रक्षा जिन कंधों पर है, वहीं वन भूमि पर अतिक्रमण करा रहे हैं और फिर अतिक्रमणकारियों से किराया भी वसूली रहे हैं। इसका वीडियो वायरल होने के बाद वाचर को हटा दिया गया है और वन रक्षक की भूमिका की जांच जुगैल रेंजर कर रहे हैं।
ओबरा वन प्रभाग के अगोरी वन क्षेत्र में इस मामले का खुलासा हुआ है। वायरल हुए एक वीडियो में वन रक्षक राजकिशोर यादव एक व्यक्ति से सौ रुपये लेकर जेब में रखते हुए दिख रहे हैं। रुपये देने वाला व्यक्ति वाचर राजपति बताया जा रहा है। हालांकि वाचर को इस अवैध कार्य के लिए हटा दिया गया है। यह कार्रवाई डीएफओ प्रखर मिश्रा के निर्देश पर तब हुई जब दो अगस्त के अंक में दैनिक जागरण में जंगल उजाड़ बुझाई जा रही धन की प्यास, प्रशासन मौन'शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि वन रक्षक ने ही वाचर को वन संपदा की रखवाली करने का जिम्मा सौंपा था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि वाचर ही वसूली कर वन रक्षक को पैसा देता रहा है। मामला खुला तो वाचर को हटाना मजबूरी बन गई। इस मामले के बाद प्रभागीय वनाधिकारी ओबरा ने वन रक्षक की भूमिका की जांच शुरू करा दी है। जांच जुगैल रेंजर कर रहे हैं। जिले में वन भूमि पर अतिक्रमण का मामला नया नहीं है, लेकिन वन विभाग के कर्मियों द्वारा वन भूमि पर कब्जा कराने व फिर उनसे प्रतिमाह किराया वसूलने का मामला नया है। इससे विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
वन रक्षक राजकिशोर यादव का कहना है कि वीडियो वायरल कर उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है। वन क्षेत्र में चरने वाले मवेशियों के पशु पालकों से चराई वसूली जाती है। इसकी रसीद भी दी जाती है। रुपये लेकर रसीद न देने के सवाल पर वन रक्षक ने बताया कि बाद में एक साथ रसीद काट कर संबंधितों को दे दी जाती है। डीएफओ प्रखर मिश्रा ने बताया कि वाचर को हटा दिया गया है। मामले की जांच जारी है। जांच रिपोर्ट आने पर संलिप्त अन्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।