ग्लोबल मार्केटिग की मंशा पर फिरा पानी, तीन साल में लटकी वन धन योजना
जागरण संवाददाता दुद्धी (सोनभद्र) क्षेत्रीय आदिवासी को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरे
जागरण संवाददाता, दुद्धी (सोनभद्र) : क्षेत्रीय आदिवासी को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वन धन योजना दुद्धी तहसील क्षेत्र में दम तोड़ती दिख रही हैं। सोनभद्र जिले के दुद्धी,म्योरपुर व बभनी ब्लाक को इस योजना के लिए चयनित 2018 में चयनित किया गया था। इसमें से महज बभनी ब्लाक में योजना की कुछ सुगबुगाहट देखने को मिल रही है, जबकि अन्य दोनों ब्लाक में शासन के निर्देश पर प्रधानमंत्री वन धन योजना के लिए समूहों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित भी किया जा चुका है। कितु निगम कर्मियों की लापरवाही से यह योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वन धन योजना 14 अप्रैल 2018 को छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर में 25 लाख रुपये की लागत से वन धन विकास केंद्र से शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य वन बाहुल्य में क्षेत्र में आबाद वनवासी- जनजातीय का आय बढ़ाने के साथ उन्हें विकास के मुख्य धारा में जोड़ने की थी। जिससे जंगलों से मिलने वाली प्रति वर्ष दो लाख करोड़ मिलने वाली वन धन संपदा का लाभ उन्हें भी दिया जा सके और आदिवासी वनवासी समूह के माध्यम से इसकी ग्लोबल मार्केटिग कर सके। इस योजना के तहत प्रति वर्ष 30 हजार सेल्फ हेल्फ ग्रुप बनाना था। 15 स्वयं सहायता सहायता समूह पर एक केंद्र बनाकर 25 लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराना था।
दुद्धी ब्लाक के लिए आजीविका मिशन के 15 समूहों के 300 महिलाओं को इस योजना के लिए चयन कर उन्हें प्रशिक्षित भी किया जा चुका है। समूह से उपकरण खरीदने के लिए संबंधित माध्यम से आवेदन भी किया जा चुका है। इसके बावजूद अभी तक खातों में उपकरण के लिए लौंगिक वन प्रबंधक ने धन नहीं भेजा है। जिससे रोजगार की आस लगाए महिला समूहों में विभागीय अधिकारियों के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है। दुद्धी-म्योरपुर क्षेत्र से नहीं मिला किसी का आवेदन
वन निगम के लौंगिग प्रबंधक आर श्रीनिवास राव ने बताया कि प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत दुद्धी एवं म्योरपुर ब्लाक क्षेत्र के चयनित समूह को केंद्र सरकार से भेजी गई 25-25 लाख वन निगम के खाते में पड़ा हुआ है। उसमें से कुछ रुपया प्रशिक्षण आदि पर खर्च हुआ है। समूह से उपकरण क्रय करने संबंधी उनके पास कोई आवेदन नहीं आया है। इस वजह से प्रति समूह को उपकरण क्रय करने के लिए दिया जाने वाला धन सुरक्षित है। यदि समूह के लोग अपेक्षित प्रारूप के तहत आवेदन करते हैं,तो तत्काल उनके खाते में रुपया भेज दिया जाएगा। अन्यथा की दशा में धन वापस केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा। इस योजना का बभनी क्षेत्र में समूहों द्वारा व्यापक पैमाने पर लाभ उठाया जा रहा है।