पेड़ों की कटान से विरान हो रहे जंगल
आए दिन जंगल से लकड़ी काटकर शहर में बेचने जाते हैं ग्रामीण - पेड़ों की घटता संख्या से पर्यावरण हो रहा असंतुलित जासं महुली(सोनभद्र) विन्ढमगंज वन रेंज क्षेत्र के जंगलों में पेड़ों की कटाई से जंगल विरान होता जा रहा है। इससे घने जंगल दिन-प्रतिदिन उजड़ते जा रहे हैं। इससे पर्यावरण का खतरा बढ़ता जा रहा है।
जासं, महुली (सोनभद्र) : विढमगंज वन रेंज क्षेत्र के जंगलों में पेड़ों की कटाई से जंगल विरान होते जा रहे हैं। कटान की स्थिति यह है कि घने जंगल दिन-प्रतिदिन उजड़ते जा रहे हैं। इससे पर्यावरण का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों द्वारा पहले हरे पेड़ों की कटाई कर छोड़ दिया जाता है। इसके बाद सुख जाने पर आस-पास के होटलों पर बेचा दिया जाता है। ग्रामीणों को आए दिन गांव के जंगलों से सूखी लकड़ी लेकर शहर की ओर जाते हुए देखा जाता है।
एक तरफ तो गरीब लकड़ी बेच कर अपना जीविकोपार्जन करता है तो वहीं दूसरी ओर पेड़ों की कटाई से पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। महुआ बीनने के दौरान लगाई जाने वाली आग से झाड़ियों के साथ-साथ उगने वाले पौधे भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। एक दशक पूर्व घिवही व जोरूखाड़ गांव से सटे सैकड़ों एकड़ जंगलों की कटाई कर वन भूमि पर कब्जा कर खेती बारी शुरु कर दिया गया है। हर वर्ष इनका दायरा बढ़ता जा रहा है। धरती पर पेड़ों की घटती संख्या से पर्यावरण असंतुलित होता जा रहा है। जिले में कई फैक्ट्री होने से वायु प्रदूषण की स्थिति बनी रहती है। ग्रामीणों ने बताया कि दो दशक पूर्व जोरकहू, करहिया, बोधाडीह के आस-पास जहां भी देखते घना जंगल दिखाई देता था। अब वह इलाका पेड़ों की कटान होने से विरान पड़ गया है। जंगलों में पेड़ों की कटाई के कारण अब जंगली जानवर भी नाममात्र ही रह गए हैं।