धारा 20 के प्रकाशन को लेकर खनन क्षेत्र में जगी उम्मीद
लंबे समय से बंदी का दौर झेल रहा जिले का खनन उद्योग जल्द ही गुलजार हो सकता है। प्रशासनिक अमले में भी इसको लेकर सुबबुगाहट शुरू हो गई है। ऐसे में एक बार फिर से जिले के खनन क्षेत्र में उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। वन भूमि को लेकर फंसे पेंच को ढीला करने के मकसद से बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में प्रधान मुख्य वन संरक्षक डा. राजीव गर्ग के निरीक्षण के बाद एक बाद फिर से खनन के अच्छे दिन आने की उम्मीदों को पंख लग गए हैं।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : लंबे समय से बंदी का दौर झेल रहा जिले का खनन उद्योग जल्द ही गुलजार हो सकता है। प्रशासनिक अमले में भी इसको लेकर सुबगाहट शुरू हो गई है। ऐसे में एक बार फिर से जिले के खनन क्षेत्र में उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। वन भूमि को लेकर फंसे पेंच को ढीला करने के मकसद से बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में प्रधान मुख्य वन संरक्षक डा. राजीव गर्ग के निरीक्षण के बाद एक बाद फिर से खनन के अच्छे दिन आने की उम्मीदों को पंख लग गए हैं। इस बात की पुष्टि गुरुवार को जिलाधिकारी एस. राजलिगम ने भी की। कहा कि जल्द ही खनन क्षेत्र की स्थितियां बदलने वाली है।
खनन निदेशक ने भी किया था दौरा
जिले के बंद पड़े खदानों को शुरू कराने के मकसद से करीब दो माह पूर्व खनन निदेशक रोशन जैकब ने भी बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र का दौरा किया था। इस दौरान खनन निदेशक ने धारा- चार व 20 के जमीनों का निरीक्षण कर पूरी रिपोर्ट लखनऊ तलब किया था। जिसके क्रम में वन, राजस्व व खनन विभाग ने अपनी-अपनी रिपोर्ट शासन को प्रेषित किया था। तब से लेकर अब तक इसी को लेकर मंथन का दौर चल रहा था, अब जब प्रधान मुख्य वन संरक्षण ने जिले का दौरा किया है तो स्थिति काफी स्पष्ट हो गई है। पत्थर व बालू खदानों को मिलेगी संजीवनी
धारा 20 के प्रकाशन के बाद पत्थर व बालू की बंद पड़ी खदानों को पुन: चालू करने का रास्ता साफ हो जाएगा। विदित हो कि जिले में वर्तमान समय में एक भी बालू की खदानें संचालित नहीं हो रही है, जिसके पीछे प्रमुख कारण वन व राजस्व विभाग के बीच धारा 20 व धारा 4 की जमीन को लेकर। यही स्थिति बिल्ली-मारकुंडी स्थित पत्थर खदानों की भी है। क्या है धारा 20 व धारा चार
भारतीय वन अधिनियम की धारा-4 के तहत सरकार किसी भूमि को वन क्षेत्र में शामिल किए जाने की कार्रवाई कर सकती है। वहीं, अधिनियम की धारा- 20 के तहत वन भूमि को पृथक कर उसे राजस्व भूमि घोषित कर दी जाती है। जिले में खनन क्षेत्र को चालू कराने के लिए धारा-4 की भूमि को धारा-20 के प्रकाशन की दरकार लंबे समय से है।