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स्वयं को दुखों में डाले बिना विश्व का कल्याण संभव नहीं

मां ज्वालामुखी मंदिर शक्तिपीठ स्थित राजीव गांधी मार्केट में चल रहे सात दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन कथा व्यास महाराज दिलीप कुमार भारद्वाज ने प्रभु श्रीराम के बाल लीलाओ का बड़ा ही मनोरम वर्णन किया । प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की श्रेष्ठता को अपने कथा के माध्यम से उल्लेखित किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 05:17 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 05:17 PM (IST)
स्वयं को दुखों में डाले बिना विश्व का कल्याण संभव नहीं
स्वयं को दुखों में डाले बिना विश्व का कल्याण संभव नहीं

जागरण संवाददाता, शक्तिनगर (सोनभद्र): मां ज्वालामुखी मंदिर शक्तिपीठ स्थित राजीव गांधी मार्केट में चल रही सात दिवसीय श्रीरामकथा के चौथे दिन कथा व्यास महाराज दिलीप कुमार भारद्वाज ने प्रभु श्रीराम की बाल लीलाओं का मनोरम वर्णन किया। इसके साथ ही प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की श्रेष्ठता को अपनी कथा के माध्यम से बताया।

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व्यासजी ने कहा कि श्रीराम ¨हदुओं के ही नहीं संपूर्ण मानव जाति के आराध्यदेव हैं। इनका जन्म ही मानव कल्याण, भारतीय सभ्यता तथा मर्यादा को समाज में स्थापित करने के लिए हुआ था। इसी से इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। रामचरित मानस वर्तमान युग में सार्वभौम ग्रंथ होने के साथ ही संपूर्ण भारतीय संस्कृति का मस्तक है। भगवान श्रीराम ने विश्व के कल्याण के लिए स्वयं को दुखों में डाला। व्यासजी ने कहा कि भगवान श्रीराम एवं उनके भाइयों की बाल लीलाओं को देख उनके माता-पिता सहित पूरे अयोध्यावासी मंत्रमुग्ध हो जाते थे। देवता भी भगवान की बाल लीला को देखने के लिए पशु-पक्षी सहित विभिन्न रूपों को धारण कर राजा दशरथ के महल के आसपास पहुंच जाते थे। कथा में भगवान श्रीराम सहित चारों भाइयों की झांकी की प्रस्तुति पर पूरा पंडाल जय श्रीराम के नारों से गुंजायमान हो उठा। रविवार को यजमान के रूप में कथा आयोजक के अध्यक्ष अजीत तिवारी, उपाध्यक्ष आरके उपाध्याय ने सपरिवार पूजन व आरती किया। इस अवसर पर भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जय प्रकाश चतुर्वेदी, अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ट के चंद्र प्रकाश जैन, आरएसएस के जिला संघ चालक भास्कर दत्त त्रिपाठी, पुनित कपूर सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।


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