डूब में एक बार फिर आंदोलन की सुगबुगाहट
कनहर डूब क्षेत्र में पांच साल बाद एक बार फिर आंदोलन की सुगबुगाहट होने लगी है। एक तरफ प्रशासन डूब क्षेत्र को खाली करने के लिए तेजी से विस्थापित परिवारों को नोटिस थमाने में लगा है। वहीं दूसरी ओर पैकेज के लाभ से वंचित लोग मांग को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अभियान में जुट गए हैं।
जागरण संवाददाता, दुद्धी (सोनभद्र) : कनहर डूब क्षेत्र में पांच साल बाद एक बार फिर आंदोलन की सुगबुगाहट होने लगी है। एक तरफ प्रशासन डूब क्षेत्र को खाली करने के लिए तेजी से विस्थापित परिवारों को नोटिस थमाने में लगा है। वहीं दूसरी ओर पैकेज के लाभ से वंचित लोग मांग को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अभियान में जुट गए हैं।
45 वर्षों में तमाम उतार चढ़ाव के बाद दिसंबर 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी डीके सिंह ने पूरे प्रशासनिक दमखम के साथ परियोजना के मुख्य बांध का निर्माण शुरू कराने में कामयाब रहे। उस दौरान परियोजना के विरोध स्वरूप डूब क्षेत्र में मची हलचल ने कुछ ही दिन बाद हिसक रूप ले लिया था। एसडीएम एवं सीओ पर हमले के बाद कनहर-पांगन नदी के जलधार के बीच करीब तीन महीने धरने पर बैठे विस्थापित अचानक आधी रात के बाद उग्र होकर बलपूर्वक समूचे परियोजना को अपने कब्जे में लेकर पांच दिनों तक काम रोक दिया था। प्रशासन ने भी बलपूर्वक उन्हें खदेड़ते हुए मुख्य बांध का काम शुरू कराया। इसके पश्चात प्रशासन एवं विस्थापितों के मध्य कुछ समझौता हुआ था। तत्कालीन जिलाधिकारी संजय सिंह के आश्वासन के बाद विस्थापित संगठन के लोग परियोजना निर्माण में सहयोग करने लगे। पांच वर्ष व्यतीत होने के बावजूद प्रशासन अब तक प्रपत्र तीन, छह एवं ग्यारह के मामलों का निस्तारण नहीं कर पाया। इससे परियोजना को लेकर एक बार फिर आंदोलन की सुगबुगाहट होने लगी है।
सूची से वंचित लोगों का सर्वे कार्य हो चुका है पूर्ण : एसडीएम
उपजिलाधिकारी रमेश कुमार ने बताया कि विस्थापितों की अधिकतर समस्याओं का गंभीरतापूर्वक निस्तारण किया जा चुका है। प्रपत्र के जरिए डूब क्षेत्र के कुल 526 विस्थापित परिवारों द्वारा दावेदारी की गई थी। इसमें से राजस्व एवं सिचाई महकमे के संयुक्त टीम ने सभी दावों की जांच पड़ताल कर 424 परिवारों को मानक के अनुसार पात्र पाया है। इसकी पत्रावली तैयार करके शीर्ष अधिकारियों के माध्यम से शासन को भेजने की कवायद इन दिनों चल रही है।