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सात महीने बाद भी मूर्तरूप नहीं ले सका कालीन उद्योग

रहस्यमयी चंद्रकांता की कहानी को समेटे, बिजली की बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की आसमान छूती चिमनियों की बदौलत राष्ट्रीय स्तर तक पहचान रखने वाले आदिवासी जनपद की पहचान कालीन के क्षेत्र में भी कराने के लिए कालीन उद्योग को चुना गया है। प्रदेश सरकार ने जनवरी माह में लखनऊ में प्रदर्शनी लगवाकर इस उद्योग को सोनभद्र के विशिष्ट उत्पाद के रूप में चयनित किया। इसके बाद लोगों में एक उम्मीद जगी कि अब सोनांचल में भी कालीन व दरी उद्योग का कारोबार बढ़ेगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 09:23 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 09:23 PM (IST)
सात महीने बाद भी मूर्तरूप नहीं ले सका कालीन उद्योग
सात महीने बाद भी मूर्तरूप नहीं ले सका कालीन उद्योग

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : रहस्यमयी चंद्रकांता की कहानी, बिजली की बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की आसमान छूती चिमनियों की बदौलत राष्ट्रीय स्तर तक पहचान रखने वाले आदिवासी जनपद की पहचान कालीन के क्षेत्र में भी कराने के लिए कालीन उद्योग को जनपद का उत्पाद चुना गया है। प्रदेश सरकार ने जनवरी माह में लखनऊ में प्रदर्शनी लगवाकर इस उद्योग को सोनभद्र के विशिष्ट उत्पाद के रूप में चयनित किया। इसके बाद लोगों में एक उम्मीद जगी कि अब सोनांचल में भी कालीन व दरी उद्योग का कारोबार बढ़ेगा। इस उद्योग से जुड़े लोगों के दिन बहुरेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सात माह बाद भी यह योजना जिले में मूर्ति रूप नहीं ले सकी है। फाइल कार्यालयों में ही दौड़ रही है। ऐसी स्थिति में इस बार सीएम के दौरे को लेकर इस उद्योग से जुड़े लोगों को काफी उम्मीद है।

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जिले के विशिष्ट और परंपरागत उत्पादों को देश और दुनिया के बाजारों में ब्रांड के तौर पर स्थापित करने के उद्देश्य से सूबे की योगी सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट यानि एक जिला एक उत्पाद योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत हर साल नये लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे। सरकार ने प्रदेश के सभी 75 जिलों से एक-एक उत्पाद को विशिष्ट उत्पाद या परंपरागत उत्पाद के रूप में चिह्नित कर उसे बाजार में ब्रांड बनाकर उभारने के लिए चिह्नित किया है। इसके तहत सोनभद्र जिले में विशिष्टता के आधार पर कालीन उद्योग को चयनित किया गया है। इसकी यूपी दिवस के मौके पर लखनऊ में प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। उसके बाद यहां के कालीन उद्यमियों को यह उम्मीद थी कि उनके दिन बहुरेंगे, लेकिन अभी तक मामला फाइलों में ही लटका पड़ा है।

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कहां तक पहुंची है फाइल

विशिष्ट उत्पाद के रूप में चयनित कालीन उद्योग को स्थापित करने और इसे ब्रांड बनाकर उभारने की दिशा में उठाये जा रहे कदम के बाद कागजों में तो फाइल खूब दौड़ रही है, लेकिन अभी तक फाइल अंजाम तक नहीं पहुंची है। उद्योग विभाग के मुताबिक अभी काफी औपचारिकताएं करायी जानी बाकी हैं। उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र योगेंद्र प्रसाद के मुताबिक फाइल आगे बढ़ रही है। कुछ उद्यमियों को ऋण दिलाने के लिए बैंकों में फाइल भेजी गई है।

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काम करते हैं सोनांचल के उद्यमी, नाम कमाता है भदोही

कालीन के उत्पादन की बात आते ही हर किसी की जुबान पर कालीन नगरी भदोही का नाम आता है। उद्योग विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो सोनभद्र जिले के कई ऐसे उद्यमी हैं जो भदोही से कच्चा माल लाकर कालीन का काम करते हैं और उसे बनाकर भदोही के उद्यमियों को देते हैं। ऐसे में मेहनत यहां के उद्यमियों की और नाम कमाता है भदोही। कालीन को सोनभद्र का विशिष्ट उत्पाद बनाने से जिले का नाम बढ़ेगा।


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