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शक्तिनगर फोरलेन निर्माण में फंसा वन विभाग का पेंच

औड़ीमोड़ से शक्तिनगर के बीच स्टेट हाइवे के 1

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 05:32 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 05:32 PM (IST)
शक्तिनगर फोरलेन निर्माण में फंसा वन विभाग का पेंच
शक्तिनगर फोरलेन निर्माण में फंसा वन विभाग का पेंच

जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : औड़ी मोड़ से शक्तिनगर के बीच स्टेट हाइवे के 18.287 किलोमीटर मार्ग के चौड़ीकरण में वन विभाग की आपत्तियां बाधक बनी हुई हैं। एनजीटी के आदेश के बावजूद वन विभाग की आपत्ति के कारण फोरलेन का कार्य अनुबंध होने के आठ महीने बाद भी शुरू नहीं हो सका है। गुरुवार को जिलाधिकारी अमित कुमार ¨सह ने बैठककर सभी विभागों के अधिकारियों से टीम भावना के साथ कार्य करने की नसीहत देते हुए वन विभाग से विवादित आपत्तियों का निपटारा करने का सुझाव दिया है।

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लगभग सौ करोड़ की लागत से होने वाले फोरलेन सड़क के काम में वन क्षेत्र की 10.5 हेक्टेयर भूमि के क्लीयरेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया गया था। वन विभाग ने चौड़ीकरण के तहत धारा चार की विज्ञापित जमीनों के लिए क्लीयरेंस की मांग कर कार्य पर रोक लगा दिया था। लोक निर्माण विभाग द्वारा वन विभाग की अधिग्रहित की जाने वाली 10.506 हेक्टेयर भूमि के एवज में दोगुने भूमि पर पौधरोपण का खर्च जमा करने की सहमति दी थी। फिर भी वन विभाग ने पेंच फसाते हुए मांग किया कि अधिग्रहित भूमि के बराबर उतनी भूमि मुहैया कराई जाएगी तभी स्वीकृति मिलेगी। औड़ी-शक्तिनगर फोरलेन सड़क निर्माण प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले एनसीएल की पाइप लाइन की समस्या आड़े आई थी। जिस पर अधिकारियों ने एनसीएल से वार्ता कर पाइप लाइन सि¨फ्टग के लिए जलनिगम द्वारा लगभग 60 करोड़ रुपये के दिए गए प्राकलन को संशोधित कराया गया। रेवेंयू मैप के अनुसार फोरलेन निर्माण में सड़क के दोनों ओर पड़ने वाले अतिक्रमण को लोक निर्माण विभाग द्वारा चिन्हित कर उसकी सूची प्रशासन को सौंप दी थी। सारी कवायद होने के बावजूद निर्माण कार्य अधर में लटका है। क्षेत्रवासी प्रदूषण की मार झेलते हुए आएदिन सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं।

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काम ठप होने से लोगों में आक्रोश

फोरलेन सड़क निर्माण में हो रही देरी पर क्षेत्रवासियों में रोष बढ़ते जा रहा है। उनका कहना है कि प्रदूषण व आएदिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं से कुछ राहत पाने के लिए फोरलेन से कुछ आस बंधी थी, लेकिन वन विभाग द्वारा अवरोध उत्पन्न किए जाने से सड़क निर्माण का कार्य आठ महीने से ठप है। लोगों का कहना है कि धारा-चार से निकाली जा चुकी भूमि के लिए पुन: स्वीकृति की प्रक्रिया अपनाकर इस मामले को उलझाया जा रहा है।


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