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सजे शिव मंदिर, शारीरिक दूरी नियम संग भक्त करेंगे दर्शन

जिले के प्राचीन मंदिर गौरी शंकर धाम में इस वर्ष कोरोना महामारी को लेकर कांवरियों द्वारा जलाभिषेक नहीं किया जाएगा। मंदिर समिति ने भी श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर के बाहर शारीरिक दूरी का पूरी तरह से पालन हो इसका विशेष इंतजाम किया है। लगभग दो सौ साल पुराने प्राचीन इस मंदिर में पूरे सावन माह में जलाभिषेक के लिए भक्तों का ताता लगा रहता थ। इस बाबत मंदिर के पुजारी म

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 06:11 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 09:59 PM (IST)
सजे शिव मंदिर, शारीरिक दूरी नियम संग भक्त करेंगे दर्शन
सजे शिव मंदिर, शारीरिक दूरी नियम संग भक्त करेंगे दर्शन

जागरण संवाददाता, शाहगंज (सोनभद्र) : जिले के प्राचीन मंदिर गौरी शंकर धाम में इस वर्ष कोरोना महामारी को लेकर कांवरियों द्वारा जलाभिषेक नहीं किया जाएगा। मंदिर समिति ने भी श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर के बाहर शारीरिक दूरी का पूरी तरह से पालन हो इसका विशेष इंतजाम किया है। लगभग दो सौ साल पुराने प्राचीन इस मंदिर में पूरे सावन माह में जलाभिषेक के लिए भक्तों का तांता लगा रहता था।

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इस बाबत मंदिर के पुजारी मल्लिकार्जुन गिरी ने बताया कि गौरी शंकर धाम प्राचीन मंदिर की स्थापना लगभग दो सौ वर्ष पहले देवरी खुर्द के काशी पति त्रिपाठी ने कराया था। मां गौरी और शिव को समाहित कर बनी यह शिवलिग अपने आप में अद्भुत है। उन्होंने बताया कि यह शिवलिग डोडर नदी में मिली थी। उस समय इस शिवलिग को अन्यत्र ले जाया जा रहा था, लेकिन यह शिवलिग एक बार नदी से निकलने के बाद दोबारा इसे उठाया नहीं जा सका और इसकी स्थापना उसी स्थान पर कर दी गई। इस गांव का नाम भी गौरी शंकर धाम पड़ गया। काशी पति त्रिपाठी ने काशी से नागा साधुओं को इस मंदिर की पूजा अर्चना के लिए बुलाया था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार बड़हर रियासत की महारानी कुंवर वेदसरन ने कराया था। उसी समय से महाशिवरात्रि व सावन मास में गौरी शंकर धाम मे शिवलिग पर जलाभिषेक करने का एक अलग महत्व है। आज भी इस शिवलिग पर प्रथम जलाभिषेक काशी पति त्रिपाठी के वंशज करते हैं। यह परंपरा 200 साल पहले से चली आ रही है। इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिर परिसर में विशेष व्यवस्थाएं कराई गई है। मंदिर के गर्भ गृह में सिर्फ पांच-पांच श्रद्धालुओं के दर्शन की अनुमति है। शारीरिक दूरी का भी पूरा पालन हो, इसके लिए मंदिर समिति के लोगों को भी लगाया गया है।


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