ठंड व बदलते मौसम से निमोनिया का खतरा बढ़ा
जागरण संवाददाता सोनभद्र मौसम का सबसे ज्यादा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। ठंड और बदलते मौसम का सेहत पर कई तरह से गहरा असर पड़ता है। हल्की असावधानी से तमाम बीमारियां लोगों को गिरफ्त में लेने लगती हैं। जिनमें से एक है निमोनिया है। खांसी और जुकाम के साथ कफ कई बार बड़ी परेशानी का सबब बन जाता है। इस मौसम में खासकर बच्चे निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : मौसम का सबसे ज्यादा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। ठंड और बदलते मौसम का सेहत पर कई तरह से गहरा असर पड़ता है। हल्की असावधानी से तमाम बीमारियां लोगों को गिरफ्त में लेने लगती हैं। जिनमें से एक है निमोनिया। खांसी और जुकाम के साथ कफ कई बार बड़ी परेशानी का सबब बन जाता है। इस मौसम में खासकर बच्चे निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं।
जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन आने वाले रोगियों में 15 फीसदी रोगी निमोनिया से पीड़ित पाए जा रहे हैं। इसमें बच्चों की संख्या अधिक है। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. पीबी गौतम के मुताबिक संक्रमण से एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भर जाता है और सूजन आ जाती है। जिससे बलगम या मवाद वाली खांसी, बुखार, ठंड लगने और सांस लेने में तकलीफ होने जैसी समस्या हो सकती है। यह मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु या कुछ दवाओं और अन्य परिस्थितियों से जन्मे संक्रमण द्वारा होता है। उन्होंने बताया कि निमोनिया की रोकथाम डब्लूएचओ और यूनिसेफ द्वारा निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिए ग्लोबल एक्शन प्लान तैयार किया है। इसका एक उद्देश्य यह भी है कि बच्चों में डायरिया से होने वाली मृत्यु दर को भी कम से कम किया जाए, ताकि निमोनिया और डायरिया जैसी जानलेवा साबित होने वाली बीमारी पर पूरी तरह काबू पाया जा सके। निमोनिया के लक्षण..
- बलगम वाली खांसी
- बुखार
- सांस लेने में कठिनाई
- सीने में दर्द या बेचैनी निमोनिया के कारण..
- वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या परजीवी जीवों या अन्य जीवों से निमोनिया हो सकता है। निमोनिया से बचाव..
- न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी) : इस वैक्सीन को तीन खुराकों में दिया जाता है। यह टीका 13 प्रकार के न्यूमोकोकल बैक्टीरिया से सुरक्षा प्रदान करता है। जिससे निमोनिया रोग हो सकता है।