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नाइट्रोजन आक्साइड उत्सर्जन पर उत्पादन निगम सतर्क

औधोगिक क्षेत्रों के आसपास बढ़ती सांस संबंधी बीमारियों को देखते हुए नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कड़े मानक तय किये हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 07:09 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 06:11 AM (IST)
नाइट्रोजन आक्साइड उत्सर्जन पर उत्पादन निगम सतर्क
नाइट्रोजन आक्साइड उत्सर्जन पर उत्पादन निगम सतर्क

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र): औद्योगिक क्षेत्रों में नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों के उत्सर्जन पर नियंत्रण को लेकर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सख्त तेवर को देखते हुए उत्पादन निगम ने भी अपनी सभी परियोजनाओं में खतरनाक गैसों के उत्सर्जन स्तर को नियंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। निगम ने इस दो चरणों की योजना भी बना दी है।

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प्रथम चरण में दहन संशोधन पैकेज के तहत उत्सर्जन स्तर को 400 मिलीग्राम घनमीटर तक नियंत्रित करने के लिए अनपरा डी की 500 मेगावाट की दो, हरदुआगंज और परीछा की 250 मेगावाट की दो-दो इकाइयों के लिए 54.25 करोड़ की कार्य योजना पर काम चल रहा है। दूसरे चरण में उत्सर्जन स्तर को 300 मिलीग्राम घनमीटर नियंत्रित करने के लिए कई परीक्षण के बाद 121 करोड़ अतिरिक्त खर्च करने की भी योजना है।

उत्पादन निगम को लगा था भारी झटका पिछले वर्ष प्रदूषण सम्बन्धी कारणों से छह इकाइयों के बंद होने से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम को भारी झटका लगा था। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा बनाए गए मानकों पर खरा नहीं उतरने के कारण विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में ऐतिहासिक रही इकाइयों को इतिहास में दर्ज करना पड़ा। ऐसे में उत्पादन निगम को कई बड़े कदम उठाने पड़े हैं। इसके लिए फिलहाल 1500 करोड़ से ज्यादा की लागत वाली योजना पर कार्य चल रहा है। ध्यान रहे पुराने बिजली घरों की फिक्स कास्ट नगण्य होने से इनकी उत्पादन लागत बहुत कम आती है जिसका लाभ आम जनता को सस्ती बिजली के रूप में मिलता है। ऐसे में इन इकाइयों के भविष्य को सुरक्षित करना आवश्यक हो गया था। एफजीडीएस प्रणाली पर 1000 करोड़ की योजना

पर्यावरण के नए मापदण्डों के अनुसार 25 साल से अधिक पुरानी कोयला आधारित बिजली इकाइयों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडीएस) प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया है अन्यथा इन बिजली घरों को बंद करना पड़ेगा। निगम ने कई पुरानी इकाइयों में ये प्रणाली लगाने का निर्णय लिया है। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देश पर उत्पादन निगम अनपरा अ तापघर की 210 मेगावाट वाली तीन इकाइयों और ब तापघर की 500 मेगावाट वाली दो इकाइयों में एफजीडीएस की स्थापना पर कार्य कर रहा है। इस पर रु.873.38 करोड़ खर्च होंगे। इसका अनुमोदन उत्पादन निगम के निदेशक मंडल द्वारा दिया जा चुका है। इससे पहल हरदुआगंज के 250 मेगावाट वाली दो इकाइयों, परीछा के 210 एवं 250 मेगावाट वाली दो-दो इकाइयों में एफजीडी के लिए रु.145.90 करोड़ की कार्य योजना का अनुमोदन प्रदान किया गया था। इसके अलावा अनपरा अ तापघर की 210 मेगावाट वाली तीन इकाइयों और ब तापघर की 500 मेगावाट वाली दो इकाइयों में ईएसपी रेट्रोफिटिग के लिए 237 करोड़ की कार्य योजना को स्वीकृति दी गयी है।


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