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सोनांचल में वायु प्रदूषण का बढ़ा ग्राफ

सिगरौली क्षेत्र (सोनभद्र-सिगरौली) में वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह हो गई है। आठ अप्रैल को रिकार्ड हुआ वायु गुणवत्ता सूचकांक सिर्फ इस वर्ष का ही नहीं बल्कि सिगरौली रीजन में वर्ष 2018 में प्रदूषण मापक यंत्र स्थापित होने से अब तक का इस तिथि का सर्वाधिक है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 10:57 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 10:57 PM (IST)
सोनांचल में वायु प्रदूषण का बढ़ा ग्राफ
सोनांचल में वायु प्रदूषण का बढ़ा ग्राफ

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : सिगरौली क्षेत्र (सोनभद्र-सिगरौली) में वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह हो गई है। आठ अप्रैल को रिकार्ड हुआ वायु गुणवत्ता सूचकांक सिर्फ इस वर्ष का ही नहीं, बल्कि सिगरौली रीजन में वर्ष 2018 में प्रदूषण मापक यंत्र स्थापित होने से अब तक का इस तिथि का सर्वाधिक है।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जाड़ी आकड़ों के मुताबिक अप्रैल के शुरूआत से ही स्थिति बेहद चिताजनक बनी हुई है। तीन अप्रैल को 320 पर रहने वाला सूचकांक चार को 342, पांच को 355 पर पहुंच गया, छह को इसमें मामूली कमी आई और इस दिन यह आकड़ा 348 दर्ज किया गया। फिर अगले ही दिन सात अप्रैल को यह बढ़कर 372 व 8 अप्रैल को 375 पर पहुंच गया। आठ की शाम नौ अप्रैल की सुबह कुछ जगहों पर हल्की बूंदाबांदी के चलते थोड़ी गिरावट दर्ज हुई, लेकिन फिर भी वायु गुणवत्ता सूचकांक का आकड़ा रेड जोन 338 दर्ज किया गया। पिछले वर्ष के आकड़ों से इसकी तुलना करें तो आठ अप्रैल 2018 को सिगरौली रीजन का वायु गुणवत्ता सूचकांक 121, वर्ष 2019 में 151 और वर्ष 2020 में इस तिथि को 170 वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया गया था। प्रदूषण रोकने के उपाय नहीं हो रहे प्रभावी

पिछले दो वर्ष अनपरा को केंद्र मानकर सोनभद्र व सिगरौली में वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। चार वर्ष में प्रदूषण में 30 फीसद तक कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। हालात के अध्ययन व उस पर नियंत्रण के लिए एनजीटी के लिए ओवर साइट कमेटी गठित है, इसको समय-समय पर दौरा व नियंत्रण के लिए दबाब बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।

पर्यावरण विशेषकों की राय में भारतीय मानक के अंतर्गत वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर 60 पर ही सही माना गया है। इसके आगे को स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक माना गया है। आकड़ा 100 से ऊपर होने पर एलो जोन और 200 से ऊपर होने पर आरेंज जोन और 300 से ऊपर होने पर रेड जोन के दायरे में रखा गया है। खुद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्वीकार करता है, रेड जोन का आकड़ा मानव स्वास्थ्य को तेजी से प्रभावित करने वाला है। वर्जन--

इधर कई दिनों से हवा की तेजी बढ़ने से प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है। इसको लेकर जेई के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है। जांच के बाद बढ़ने के कारणों व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजी जाएगी। एनसीएल व पीडब्ल्यूडी को निर्देश दिया गया है कि वह पानी का छिड़काव नियमित रुप से कराते रहे।

- इं. राधेश्याम, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। सोनभद्र में हालत सुधरने के बजाए बिगड़ते जा रहे हैं, इसमें बड़ा योगदान कोयले के असुरक्षित खनन परिवहन के अलावा, बिजली परियोजनाओं से निकलने वाली कोयला राख के असुरक्षित निस्तारण से हैं।

- सीमा जावेद, पर्यावरण विशेषज्ञ।


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