Move to Jagran APP

बालिग दिखाकर फर्जी मुकदमे में फंसा रही पुलिस

जागरण संवाददाता सोनभद्र दुद्धी कोतवाली क्षेत्र के नगवां बालू खदान में 23 मई को मिले रामसुंदर गौंड़ के शव मामला पुलिस के लिए गले की फांस बनता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 04:27 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 07:11 PM (IST)
बालिग दिखाकर फर्जी मुकदमे में फंसा रही पुलिस
बालिग दिखाकर फर्जी मुकदमे में फंसा रही पुलिस

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : दुद्धी कोतवाली क्षेत्र के नगवां बालू खदान में 23 मई को मिले रामसुंदर गोंड़ के शव का मामला पुलिस के लिए गले की फांस बनता जा रहा है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डा. विशेष गुप्ता ने नाबालिग को बालिग दिखाकर फर्जी मुकदमे में फंसाने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक को जांच का निर्देश दिया है। अध्यक्ष ने जांच कराकर दोषी पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने व कृत कार्रवाई से सात दिनों के भीतर अवगत कराने का निर्देश दिया है।

loksabha election banner

बता दें कि विढमगंज थाना क्षेत्र के पकरी गांव निवासी रामसुंदर गोंड़ (56) का शव नगवां स्थित बालू खदान में 23 मई को बरामद हुआ था। शव बालू के अंदर गड़ा हुआ था। शव का पोस्टमार्टम 24 मई को हुआ। अध्यक्ष द्वारा पुलिस अधीक्षक को भेजे गए पत्र के मुताबिक प्रधान मंजय यादव, श्यामसुंदर का भाई रामजीत व पुत्र लाल बहादुर शव मिलने के पहले दिन से ही हत्या की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की मांग पुलिस से करते रहे। उन्होंने पुलिस को यह भी बताया था कि रामसुंदर 21 मई से ही घर से लापते थे। शव बरामद होने पर प्रधान व परिवार के लोगों ने देखा कि उनका दांत टूटा हुआ है और मुंह पर चोट के निशान भी थे। कान से रक्त भी निकल रहा था। परिजनों का कहना है कि खननकर्ताओं ने उसकी हत्या की है लेकिन शव मिलने के दिन हत्या की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। खननकर्ताओं के साजिश में आकर पुलिस ने उल्टे प्रधान मंजय यादव, मृतक के तीनों पुत्रों, उनकी पत्नियों और नाबालिग बच्चों के खिलाफ धारा 143, 147, 149, 352, 427, 504, 506 व सात क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली। पुलिस ने 14 वर्षीय उदल पुत्र तेजबली सिंह व 12 वर्षीय राजेश पुत्र रामचंद को बालिग दिखाकर चालान कर दिया। इस वजह से वे गुरमा कारागार में बंद हुए। बच्चों को जेल में सोने के लिए दरी भी नहीं दी गई और न ही सुबह का नाश्ता ही कराया गया। यह स्पष्ट तौर पर बाल संरक्षण का उल्लंघन है। अध्यक्ष ने पुलिस अधीक्षक को निष्पक्ष जांच कराकर दोषी पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए संपूर्ण जांच की आख्या से आयोग को सात दिनों के भीतर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव ने पत्र आने की जानकारी न होना बताया। बोले, यदि पत्र आता है तो आयोग के निर्देशों का पालन कराते हुए जांच कराई जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.