150 ग्राम पंचायतों में ग्राम राजस्व समिति का गठन नहीं
उच्चतम न्यायालय के आदेश के 27 वर्षों बाद भी धारा 20 का प्रक
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : उच्चतम न्यायालय के आदेश के 27 वर्षों बाद भी धारा 20 का प्रकाशन नहीं होने से अगोरी और सिगरौली परगना के लगभग 150 ग्राम पंचायतों में भूमि प्रबंधक समिति (ग्राम राजस्व समिति) का गठन नहीं हो पा रहा है। ग्राम राजस्व समिति के गठन न होने के कारण ग्राम पंचायतों में स्थानीय विकास माडल की परंपरा शून्यता की स्थिति में है। जबकि जनपद सोनभद्र के परगना बड़हर व विजयगढ़ में भूमि प्रबंधक समिति का गठन किया गया है। जून 2016 में ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता वाली भूमि प्रबंधक समितियों को बदलकर ग्राम राजस्व समिति कर दिया गया था। तब शासन द्वारा विभिन्न ग्राम पंचायतों में ग्राम राजस्व समिति के गठन का आदेश दिया गया था। संबंधित उपजिलाधिकारी तथा ब्लाक खंड अधिकारी को 25 दिन के अंदर ग्राम राजस्व समितियों का गठन कर जिलाधिकारी को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन यह आदेश भी अगोरी और सिगरौली परगना के लगभग 150 ग्राम पंचायतों के लिए बेकार साबित हुआ। जबकि सहायक उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम की धारा 105, 106 पूर्ण रूप से परगना अगोरी और सिगरौली में लागू है।
स्थानीय विकास माडल की स्थिति शून्य
अगोरी परगना में ग्राम राजस्व समिति के गठन नहीं होने के कारण जमीनों की हेराफेरी के मामले बढ़ती जा रही है। खासकर खनन से जुड़ी भूमि की हेराफेरी अब परंपरा बनती जा रही है। डाला बिल्ली खनन क्षेत्र और सोन नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में सैकड़ो जमीन विवादों के घेरे में है। चोपन प्रधान संघ के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि ग्राम समाज की भूमि को राजस्व विभाग की मदद से भू माफिया खनन के लिए अपने नाम करा ले रहे है। अगर भूमि प्रबंधक समिति का गठन हो जाए तो इस पर प्रभावी रोक लगेगी। कहा समिति का गठन नही होने कारण ग्राम पंचायतों में स्थित बाग, चारागाह, कब्रिस्तान, श्मशान घाट, खलीहान, चकरोड, संपर्क मार्ग, सेक्टर मार्ग, नदी तल के विकास को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधित्व शून्य है।
वर्जन..
ग्राम राजस्व समितियों का गठन होना चाहिए। इसका गठन क्यों नहीं हो पा रहा है, इसके संबंध में जानकारी लेकर प्रभावी कार्यवाही की जाएगी।
-प्रकाश चंद्र, उपजिलाधिकारी ओबरा।