कैमूर पर्वत श्रृंखला के 20 से ज्यादा झरने में आने लगा पानी
अगर यह कहा जाए की सोनभद्र मानसून के लिए ही बना है तो अतिश्योक्ति नही होगी। पिछले कुछ दिनों से जारी बारिश में ही सोनघाटी प्रकृति का बड़ा आशीर्वाद दिख रही है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : अगर यह कहा जाए की सोनभद्र मानसून के लिए ही बना है तो काई अतिश्योक्ति नहीं होगी। पिछले कुछ दिनों से जारी बारिश में ही सोनघाटी में प्रकृति चार चांद लगा रही है। जनपद के तमाम हिस्से अपनी रमणीयता से बरबस ही लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं। खासकर सोनघाटी की दर्जनों ऐसी जगह जहां पहुंचना ही रोमांच का अनुभव करा रहा है। वहां लोग पहुंचना शुरू हो गए हैं। कैमूर की पहाड़ियों, रेणुकापार के आदिवासी अंचल, रिहंद के किनारे और कनहर के तटवर्ती इलाके बड़े पर्यटन स्थल के प्रतीक बन गए है। जनपद के सबसे प्रमुख पर्यटनस्थलों में एक मारकुंडी स्थित सोन इको प्वाइंट के अलावा रिहंद के दर्जनों किनारे जिसमें कुवांरी, बेलवादह, करकोरी, जरहां, गोभा, रिहंद नगर, बीना आदि के साथ ओबरा डैम के ओबरा, बगबईसा, पलसो, अमश्रोता, कर्री, जुर्रा एवं भोड़ार आदि तटवर्ती इलाकों के अलावा रेणुका पार के दर्जनों जगहें मन मोह रही हैं। इसके अलावा विजुल नदी के कई तटवर्ती इलाके पहाड़ी और नदी भी आकर्षित कर रही है। सोन के उत्तर में स्थित कैमूर पठार श्रृंखला में 20 से ज्यादा झरनों में पानी आ गया है। सबसे ज्यादा भीड़ मारकुंडी से निकलने वाले झरने पर दिखाई पड़ रही है। वाराणसी शक्तिनगर मार्ग से गुजरने वाले राहगीर बरबस ही सोन इको प्वाइंट के पास बहने वाले झरने पर रुकने को मजबूर हो रहे हैं। रविवार को भारी बारिश के बावजूद सैकड़ों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचे। इसके अलावा कैमूर के ही खोड़वा पहाड़ी के 16 झरनों में पानी आ गया है। इनमें कई झरने 300 फीट की ऊंचाई से गिर रहे हैं। कुल मिलाकर वर्तमान मानसून सत्र सोनघाटी को पर्यटन के शीर्ष पर पंहुचा दिया है। धार्मिक स्थल भी हो गए रमणीय
मानसून के साथ ही सोनघाटी के तीर्थ स्थलों की भी चमक बढ़ा दी है। खोड़वा पहाड़ी पर मौजूद मंगेश्वर बाबा, अमिला धाम, मंछरमारा, रेणुका नदी के तट पर मौजूद पर्वत बाबा, डोमनिया बाबा, पत्थर बाबा, चिरकुट देवी, सोन के तट पर मौजूद कुण्डवासिनी देवी, गोठानी पीठ, जुगैल स्थित जिरही देवी की प्राकृतिक सुंदरता में काफी इजाफा हुआ है।