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रामगढ़ में पांचवीं बार होगा गरीब असहाय कन्याओं का सामूहिक विवाह

रामगढ़ में पांचवीं बार होगा गरीब असहाय कन्याओं का सामूहिक विवाह

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 05:04 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 05:04 PM (IST)
रामगढ़ में पांचवीं बार होगा गरीब असहाय कन्याओं का सामूहिक विवाह
रामगढ़ में पांचवीं बार होगा गरीब असहाय कन्याओं का सामूहिक विवाह

रामगढ़ में पांचवीं बार होगा गरीब असहाय कन्याओं का सामूहिक विवाह

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जागरण संवाददाता, रामगढ़ (सोनभद्र) : जिले का रामगढ़ कस्बा पांचवीं बार गरीब असहाय कन्याओं के विवाह का साक्षी बनने जा रहा है। भिखारी भोले सेवा ट्रस्ट कसारी रामगढ़ के संस्थापक व अध्यक्ष भिक्षुक भिखारी बाबा जंगली दास की ओर से सात जुलाई को सामूहिक विवाह समरोह का आयोजन किया गया है। जंगली दास अब तक सैकड़ों गरीब असहाय कन्याओं की शादी सोनभद्र जनपद समेत प्रदेश के कई जिलों में करा चुके हैं। प्रयागराज कुंभ मेले में भी उन्होंने विवाह कराया था। सात जुलाई दिन गुरुवार को अखंड हरिकीर्तन के 13वां वर्ष पूरा होने व शनि महाराज यज्ञ के पूर्ण होने पर गरीब असहाय कन्याओं की शादी रामगढ़- गुरौटी रोड स्थित शिव सरोवर भीटे पर श्री शिव मंदिर प्रांगण में किया जाएगा। भिक्षुक भिखारी बाबा जंगली दास ने बताया कि 29 जून दिन बुधवार से जगत कल्याण के लिए नौ दिवसीय शनि महाराज यज्ञ व अनवरत चल रहे अखंड हरिकीर्तन के 13 वां वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में गरीब कन्याओं का विवाह कराया जा रहा है। भिखारी भोले सेवा ट्रस्ट कसारी रामगढ़ के सौजन्य से बीते 14 फरवरी सन् 2022 से श्री शिव मंदिर प्रांगण में प्रतिदिन अनवरत भंडारा भी चल रहा है। बता दें कि भिक्षुक भिखारी बाबा जंगली दास ने रामगढ़ कस्बे में सर्वप्रथम सन् 2005 में 21 गरीब असहाय कन्याओं के विवाह की शुरुआत की थी। तत्कालीन जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक घराती और बाराती बन ऐतिहासिक विवाह के साक्षी बने थे। रामगढ़ कस्बे में ही सन 2006 में 153 गरीब कन्याओं, वर्ष 2008 में 103 गरीब कन्याओं, सन 2011 में 101 गरीब कन्याओं के विवाह का आयोजन भिखारी बाबा करा चुके हैं।

भाई की मौत पर बेटी की चीत्कार के बाद लिया था शादी कराने का संकल्प

भिखारी बाबा ने बताया कि वर्ष 2004 में शिव सरोवर भीटे पर एक लड़की की चीत्कार ने उनके दिल को हिला कर रख दिया। वजह चीत्कार कर रही लड़की जिसके माता-पिता पहले ही दुनिया छोड़ चुके थे सिर्फ अपने भाई के साथ गुजर-बसर कर रही थी। भाई की मौत ने उसे बेसुध कर दिया। उसकी हृदय विदारक पीड़ा ने मेरे अंतर्मन को इतना झकझोर दिया कि मैं उसी दौरान प्रण कर लिया कि मैं गरीब असहाय कन्याओं की शादी और समाज सेवा के लिए अपना जीवन लगा दूंगा।


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