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कंडाकोट व जीवाश्म पार्क का होगा कायाकल्प

सोनभद्र आदिकाल के ऋषि कण्व की तपोस्थली कंडाकोट की पहाड़ी हो या फिर दुनिया के सबसे पुराने फासिल्स को समेटे सलखन का पार्क। इन स्थलों पर जल्द ही विकास की गति तेज होगी। वहां सड़क शौचालय से लेकर छांव के इंतजाम किए जाएंगे। इसके लिए पर्यटन विभाग ने जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों से एक-एक स्थल को चयनित करके विकास का प्रस्ताव तैयार करते हुए निदेशालय को भेज दिया है। स्वीकृति मिलते ही कार्य कराए जाने की उम्मीद है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 07:07 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 06:09 AM (IST)
कंडाकोट व जीवाश्म पार्क का होगा कायाकल्प
कंडाकोट व जीवाश्म पार्क का होगा कायाकल्प

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : आदिकाल के ऋषि कण्व की तपोस्थली कंडाकोट की पहाड़ी हो या फिर दुनिया के सबसे पुराने फासिल्स को समेटे सलखन का पार्क। इन स्थलों पर जल्द ही विकास की गति तेज होगी। वहां सड़क, शौचालय से लेकर छांव के इंतजाम किए जाएंगे। इसके लिए पर्यटन विभाग ने जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों से एक-एक स्थल को चयनित करके विकास का प्रस्ताव तैयार करते हुए निदेशालय को भेज दिया है। स्वीकृति मिलते ही कार्य कराए जाने की उम्मीद है।

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पर्यटन स्थलों के विकास के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना की शुरुआत की है। इसके तहत जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों को चिन्हित कर वहां पर्यटकों की सुविधा के लिए व्यवस्था किए जाने की योजना है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने जिले के सभी चारों विधानसभा क्षेत्र के विधायकों से प्रस्ताव लिया है। भेजे गए प्रस्ताव के मुताबिक राब‌र्ट्सगंज विधानसभा क्षेत्र के बाबा मछन्दर नाथ की तपोस्थली, घोरावल से कण्व ऋषि की तपोस्थली कंडाकोट, ओबरा विधानसभा क्षेत्र के सलखन फासिल्स पार्क और दुद्धी क्षेत्र से रजखड़ घाटी के विकास का मसौदा तैयार हुआ है। इन चारों स्थलों पर यहां की खासियत से जुड़ी बातों का बोर्ड, स्लोगन आदि भी लिखवाया जाएगा। पर्यटक आएं तो उन्हें किसी तरह की दिक्कत न हो, पेयजल के लिए कहीं दूर न जाना पड़े। साथ ही साफ-सफाई के लिए भी यहां इंतजाम किए जाने की तैयारी है। पर्यटन सूचना अधिकारी मीरजापुर नवीन कुमार सिंह कहते हैं कि प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इसपर स्वीकृति भी मिलेगी। खर्च होंगे 50-50 लाख

पर्यटन विभाग के मुताबिक इस योजना के तहत जिन स्थलों का प्रस्ताव दिया गया है स्वीकृति मिलने पर पचास-पचास लाख रुपये की धनराशि खर्च करके काम कराया जाएगा। इसमें ज्यादा ध्यान शौचालय व छांव के इंतजाम के लिए है। अगर छोटी सड़कें मरम्मत के लायक होंगी तो उसे भी कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त संबंधित क्षेत्र के विधायक चाहेंगे तो वे अपनी निधि का धन खर्च करके कुछ काम कर सकते हैं। अभी क्या है इन स्थलों की स्थिति

जमीन से करीब आठ सौ फीट की ऊंचाई पर कण्व ऋषि की तपोस्थली है। यहां उनकी प्रतिमा भी लगी है। अर्धनारीश्वर भगवान शिव विराजमान हैं। सीढि़यों से होकर जाने पर यहां पानी का इंतजाम तो है लेकिन छांव के लिए बहुत मुकम्मल इंतजाम नहीं है। साथ ही यहां पहुंचने के लिए करीब 200 मीटर की सड़क भी बनाने लायक है। इसी तरह सलखन फासिल्स पार्क के पास तो सुरक्षा की ²ष्टिकोण से कुछ भी नहीं है। यहां की लाइटें खराब हैं, शौचालय के मरम्मत व सड़क का निर्माण जरूरी है। यहीं स्थिति मच्छन्दर नाथ का भी है। जल के देवता बाबा मंछन्दर नाथ के बारे में सीएम भी चर्चा कर चुके हैं। यहां जो गोमुख की गुफा है उससे हमेसा पानी निकलता रहता है। रजखड़ धाटी में प्राकृतिक सौंदर्य दिखता है।


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