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मातृभाषा में ही बच्चा अभिव्यक्ति की दुनिया में रखता है कदम

डीएवी स्कूल बीना में यूनेस्को द्वारा घोषित मातृभाषा दिवस गुरूवार को मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ईश वंदना से हुआ। पाठ्य सहगामी क्रियाओं के संयोजक पूर्णानंद पति ने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कवियों लेखकों ने अपनी मातृभाषा में ही स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 05:37 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 05:37 PM (IST)
मातृभाषा में ही बच्चा अभिव्यक्ति की दुनिया में रखता है कदम
मातृभाषा में ही बच्चा अभिव्यक्ति की दुनिया में रखता है कदम

जासं, अनपरा (सोनभद्र) : डीएवी स्कूल बीना में यूनेस्को द्वारा घोषित मातृभाषा दिवस गुरुवार को मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ईश वंदना से हुआ। पाठ्य सहगामी क्रियाओं के संयोजक पूर्णानंद पति ने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि कवियों, लेखकों ने अपनी मातृभाषा में ही स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाई। प्रेमा देवी ने कहा कि वीर अभिमन्यू ने चक्रव्यूह तोड़ने की कला मातृभाषा में ही मां के गर्भ से सीखी थी। बच्चा मातृभाषा में ही अभिव्यक्ति की दुनिया में कदम रखता है। वीर अभिमन्यू ¨सह ने स्वरचित कविता पाठ, रश्मिता त्रिपाठी ने भोजपुरी गीत, शुक्ला क्विला ने बंगला भजन, गुलफशा सिद्दीकी ने उर्दू में गजल, रमेश त्रिपाठी ने अवधी भाषा में मानस की चौपाई, सुनीता मिश्रा ने भोजपुरी गीत की प्रस्तुति की। मातृभाषा में प्रदर्शनी का आयोजन आकर्षण का केंद्र रहा। आदित्य ने भोजपुरी भाषा में भजन प्रस्तुत किया। मनीषा गुप्ता ने संयोजन एवं धन्यवाद ज्ञापन किया।

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