Move to Jagran APP

प्रदेश में बिजली आपूर्ति में सुधार जारी

जागरण संवाददाता ओबरा (सोनभद्र) उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग में वृद्धि दर्ज हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 05:22 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 10:41 PM (IST)
प्रदेश में बिजली आपूर्ति में सुधार जारी
प्रदेश में बिजली आपूर्ति में सुधार जारी

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग में वृद्धि दर्ज हो रही है। पिछले एक दशक के दौरान अधिकतम प्रतिबंधित मांग में 13 हजार मेगावाट तक की वृद्धि हो चुकी है। सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली दिए जाने के लिए नेटवर्क को मजबूत करने के साथ बिजली उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। अभी भी महानगरों, औद्योगिक क्षेत्रों एवं जनपद मुख्यालयों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में छह घंटे तथा तहसील मुख्यालय और बुंदेलखंड में चार घंटे की कटौती जारी है। प्रतिबंधित मांग को पूरा करने के लिए ही रिकार्ड तोड़ बिजली का आयात करना पड़ रहा है। जुलाई 2010 में जहां 8657 मेगावाट अधिकतम बिजली की आपूर्ति की गई थी, वहीं सितंबर 2020 में रिकार्ड 23867 मेगावाट की आपूर्ति की गई। बिजली की मांग 23 हजार मेगावाट से पार होने के बाद प्रदेश में उत्पादन वृद्धि का दबाव बढ़ता जा रहा है। मांग पूरा करने के लिए लगभग 40 फीसद बिजली का आयात करना पड़ रहा है। राज्य विद्युत उत्पादन निगम की इकाइयों से चार हजार मेगावाट के करीब उत्पादन होता है बाकी 80 फीसद से ज्यादा बिजली केंद्रीय पूल एवं निजी बिजली घरों से ली जा रही है। इसलिए वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम 660 मेगावाट की कुल 10 इकाइयों की स्थापना पर काम कर रहा है। जिसमें छह इकाइयां उत्पादन निगम की परियोजनाओं में तथा चार इकाइयां युक्त उपक्रम के तहत लगाई जा रही है। इन इकाइयों के स्थापना से प्रदेश को कुल 6225 मेगावाट बिजली मिलेगी। जिससे केंद्रीय पूल से बिजली आयात में 50 फीसद तक कमी आएगी।

loksabha election banner

पिछले पांच वर्षों के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति के घंटे में लगभग आठ घंटे से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। वित्त वर्ष 2014-15 में औसतन 11.15 घंटे प्रतिदिन आपूर्ति हुई थी। जो 2015-16 में बढ़कर 11.38 घंटे प्रतिदिन हो गई। वर्ष 2016-17 में बढ़कर 16.39 घंटे प्रतिदिन तथा वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 18.35 घंटे प्रतिदिन हो गया। बीते 2019-20 सत्र में इसमें प्रतिदिन 23 मिनट की वृद्धि हुई है। इस दौरान औसतन प्रतिदिन 18.58 घंटे की आपूर्ति की गई। चालू 2020-21 वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले वर्ष के सापेक्ष आंशिक कमी आई है। फिलहाल शेड्यूल के तहत 18 घंटे की आपूर्ति की जा रही है। तहसील स्तर पर नजर डाला जाए तो वित्तीय वर्ष 2015-16 में औसतन 14.26 घंटे प्रतिदिन की आपूर्ति तहसीलों में हुई थी जो वित्त वर्ष 2019-20 तक 23 घंटे तक पहुंच गई। चालू वित्तवर्ष 2020-21 में अभी तक 21.32 घंटे प्रतिदिन की आपूर्ति की गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.