पंचायत चुनाव में इस बार आधी आबादी ने दिखाया दमखम
पंचायत चुनाव में इस बार आधी आबादी ने पूरा दम दिखाया। प्रधान बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य पद पर तमाम महिलाओं ने फतह हासिल की लेकिन जलवा स्वजन का है। जीत का प्रमाण पत्र लेने वाली तमाम निर्वाचित महिलाएं घूंघट में ही सिमटी दिखाई दीं। अब पांच साल तक स्वजन का पंचायतों में बोलबाला नजर आएगा जबकि महिलाएं घरों में ही रहेंगी।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : पंचायत चुनाव में इस बार आधी आबादी ने पूरा दम दिखाया। प्रधान बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य पद पर तमाम महिलाओं ने फतह हासिल की लेकिन जलवा स्वजन का है। जीत का प्रमाण पत्र लेने वाली तमाम निर्वाचित महिलाएं घूंघट में ही सिमटी दिखाई दीं। अब पांच साल तक स्वजन का पंचायतों में बोलबाला नजर आएगा जबकि महिलाएं घरों में ही रहेंगी। दुद्धी विधायक हरीराम चेरो की पुत्रवधू जिला पंचायत सीट पर फतह हासिल किया, लेकिन प्रमाण पत्र लेने उनके ससूर आए, इससे साफ जाहिर होता है कि अगले पांच साल वह क्षेत्र में कितनी अधिक सक्रिय होंगी। इसी तरह जिले के तमाम ग्राम पंचायतों में मुखिया चुनी गई महिलाएं प्रमाण पत्र लेने के लिए नहीं आईं, उनके जगह उनके स्वजन ही आए। प्रमाण पत्र लेने के दौरान कई कुछ लोगों ने महिला मुखिया को बुलाया भी, लेकिन वह पूरे घूंघट में आईं। नामांकन तक रही सहभागिता
कई महिलाएं घर की चहारदीवार से बाहर नहीं निकलीं और चुनाव में जीत हासिल कर ली। पंचायत चुनाव में ऐसी कई महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है, जिनकी चुनाव में सहभागिता सिर्फ नामांकन करने और जीत का प्रमाण पत्र लेने आने तक ही रही। पति और घर के अन्य पुरुष सदस्य चुनावी राजनीति की कमान संभाले रहे। जिले में ग्राम प्रधान की 629 सीटों में से 212 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। इसके अलावा अन्य सीटों से भी महिलाओं ने दावेदारी की थी। इन सीटों पर जीत हासिल करने वाली तमाम महिलाएं प्रत्याशी ऐसी रहीं, जिन्होंने चुनाव के दरम्यान एक बार नामांकन दाखिल करने के लिए घर की दहलीज लांघी थी और दूसरी बार वे जीत का प्रमाण पत्र लेने के लिए चारदीवारी से बाहर निकलीं। इनमें से भी ज्यादातर महिलाएं घूंघट की आड़ में जीत का प्रमाण पत्र लेने पहुंची। प्रचार के दौरान भी घर पर रहीं चुनाव के दरम्यान इनकी जीवनशैली में कोई खास बदलाव नहीं आया। ये घर के भीतर अपने रोजमर्रा के कामों में ही व्यस्त रहीं। जबकि, चुनाव प्रचार महिलाओं के पति या घर के अन्य पुरुष सदस्य करते रहे। मतगणना केंद्रों में जीत का प्रमाण पत्र लेने भी ये महिलाएं परिवार के पुरुष सदस्यों के बीच पहुंची। कई जगह तो प्रधान प्रतिनिधि की हैसियत से महिलाओं के नाम के प्रमाण पत्र उनके परिवार के पुरुष सदस्यों ने लेने की कोशिश की, पर आरओ के ऐतराज जताने के बाद मजबूरी में वे महिलाओं लेकर आए। जिला पंचायत सदस्य पद पर 10 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित थी, जो घर पर रहकर ही जीत हासिल कर लीं।