बागवानी और लॉकडाउन का पालन साथ-साथ
जल की तरह पेड़-पौधे भी हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। पेड़-पौधों का मानव जीवन में बड़ा महत्व है। ये हमें न सिर्फ ऑक्सीजन देते हैं। बल्कि तमाम प्रकार के फल-फूल जड़ी बूटियां और लकड़ियां आदि भी देते हैं। घर के आसपास पौधरोपण करने से गर्मी भू क्षरण धूल आदि की समस्या से बच सकते हैं। इस बात को राबर्ट्सगंज ब्लाक के छपका गांव के एक परिवार ने समझा और बेटे के जन्म दिन पर पौधे लगाने का काम शुरू कर दिया और आज देखते ही देखते पूरी 10 बीघे की बागवानी तैयार हो गई। इसमे 50 प्रकार के फलदार पौधे तैयार हो गए हैं। लॉकडाउन में बागवानी की रखवाली चार पीढि़
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जल की तरह पेड़-पौधे भी हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। पेड़-पौधों का मानव जीवन में बड़ा महत्व है। ये हमें न सिर्फ ऑक्सीजन देते हैं बल्कि तमाम प्रकार के फल-फूल, जड़ी बूटियां और लकड़ियां आदि भी देते हैं। घर के आसपास पौधरोपण करने से गर्मी, भू-क्षरण, धूल आदि की समस्या से बच सकते हैं। इस बात को राबर्ट्सगंज ब्लाक के छपका गांव के एक परिवार ने समझा और बेटे के जन्म दिन पर पौधे लगाने का काम शुरू कर दिया और आज देखते ही देखते पूरी 10 बीघे की बागवानी तैयार हो गई। इसमें 50 प्रकार के फलदार पौधे तैयार हो गए हैं। लॉकडाउन में बागवानी की रखवाली चार पीढि़यां मिल कर रही हैं।
छपका गांव निवासी गंगेश्वर धर दुबे के पुत्र उत्कर्ष धर दुबे के जन्म दिन से घर के आस-पास पौधरोपण का काम शुरू किया गया। अब तो इनके घर में कुल आठ बच्चे हैं। सभी के जन्म दिन पर पौधारोपण किया जाता है। बृजेश धर दुबे ने बताया कि उत्कर्ष के पहले जन्मदिन से ही यह परंपरा शुरू हुई कि उस दिन पौधारोपण किया जाएगा। आम, दशहरी आम, लीची, संतरा, बेल, नासपाती, अंगूर से लेकर कुछ महत्वपूर्ण पौधे भी हैं। वहीं 15 प्रकार के गुड़हल, तीन प्रकार के चंदन के पेड़, गेंदा, बेला, जूही का फूल, इलायची, तेज पत्ता आदि भी लगाए गए हैं। इनके कुल चार पीढि़यों में 18 परिवार हैं। लॉकडाउन में सभी लोग एक साथ जुटे हुए हैं और पर्यावरण की रक्षा के लिए सभी लोग मिलकर बागवानी की रखवाली कर रहे हैं।