24 घंटे के भीतर महिला सहित पांच की मौत
कालापानी कहे जाने वाले रेणुकापार के आदिवासी अंचलों में त्रासदी ने पुन दस्तक देना शुरू कर दिया है।अत्यंत दुर्गमता झेल रहे टोलों में मौतों का सिलसिला जारी है लेकिन प्रशासन को इसकी कोई खबर नही है ।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : कालापानी कहे जाने वाले रेणुकापार के आदिवासी अंचलों में त्रासदी ने पुन: दस्तक देना शुरू कर दिया है। अत्यंत दुर्गमता झेल रहे टोलों में मौतों का सिलसिला जारी है। इसके बावजूद प्रशासन को इसकी कोई खबर नहीं है। इसी क्षेत्र के ग्राम पंचायत अगोरी खास के करजी टोले में गुरुवार को बीते 24 घंटे के भीतर एक महिला और चार बच्चों यानी कुल पांच की मौत हो गई। सभी मृतकों में खून की कमी के साथ उल्टी और पेट दर्द की शिकायत ग्रामीणों द्वारा बताई जा रही है। अब भी कई लोग बीमार हैं। इस घटना से गांव में हड़कंप की स्थिति है। संचार व्यवस्था से कोसों दूर इस गांव में हुई इतनी बड़ी घटना के बारे में ग्रामीणों ने भी अभी तक किसी को कोई जानकारी नहीं दिया है।
ग्राम पंचायत अगोरी खास के करजी टोले में गुरुवार को बीते 24 घंटे के दौरान पांच ग्रामीणों की मौत से पूरा गांव थर्रा गया है। कई अन्य ग्रामीणों के भी बीमार होने की जानकारी मिली है। ऐसे में कहीं मौत का आंकड़ा बढ़ेगा तो नहीं इसको लेकर ग्रामीण चितित हैं। करजी टोले में बुधवार को एक ही परिवार के तीन सहित चार लोगो की मौत हो गई। गुरुवार को भी एक मौत के बाद गांव में कोहराम की स्थिति है। डिजिटल इंडिया के दौर में इस गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण ग्रामीण कोई भी आपात सुविधा नहीं ले पाए। जिसके कारण मौतों का आकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अगर तत्काल इस गांव में चिकित्सा सुविधा नहीं पहुंचाई गई तो स्थिति और खराब हो जाएगी। पांच मौतों के बाद गांव में मातम
24 घंटे में करजी टोला में ग्रामीण बुल्लू के दो पुत्र सुखदेव (10) और मन्नू (3) के साथ बुल्लू की 25 वर्षीय देवरानी फूलमतिया पत्नी गुड्डू की मौत बुधवार को हो गई। वहीं बुल्लू के पड़ोसी सीताराम की ढाई वर्षीय पुत्री बब्बी की भी बुधवार को ही मौत हुई। चार मौतों से अभी गांव में हर ओर मातम फैला था उसी बीच गुरुवार की दोपहर में तीन वर्षीय अमरजीत पुत्र संतलाल की मौत हो गई। गुरुवार को पूरे गांव में मातम पसरा रहा। ग्रामीणों की मानें तो सभी मृतकों में खून की कमी के साथ उल्टी और पेट दर्द की शिकायत थी। यहीं नही इसी टोले के ग्रामीण श्रीराम की दो पुत्रियां रानू (10) व तथा मंजीता (7) की स्थिति गंभीर बनी हुई है। इसके अलावा गांव में आधा दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों में भी बीमारी के लक्षण देखने को मिले। नेटवर्क नही होना बना मुसीबत
ग्राम पंचायत के करजी टोला में मोबाइल नेटवर्क का नही होना भी पांच लोगों की मौत का बड़ा कारण बना। ग्रामीणों के अनुसार नेटवर्क नहीं होने के कारण राहत के लिए प्रशासन को सूचना नहीं दी जा सकी। ग्रामीणों के अनुसार गांव से पांच किलोमीटर दूर जाने पर ही नेटवर्क मिलता है। रेणुकापार के 50 से ज्यादा टोलों में अब भी मोबाइल नेटवर्क नहीं है। जिसके कारण अक्सर आपातकालीन मामलों की सूचना प्रशासन को नही हो पाती है। आकस्मिक मौतों के लिए कुख्यात रहे रेणुकापार में हर साल कई मौतें ऐसी होती हैं जिसे समय से उपचार होने पर बचाया जा सकता था। खासकर मानसून सत्र सहित अक्टूबर और नवम्बर इस क्षेत्र के लिए त्रासदी भरा रहता है। वर्ष 2011 में इस क्षेत्र में 160 से ज्यादा मौत हुई थी। इसके अलावा भी अन्य वर्षो में औसतन 50 से ज्यादा मौत केवल इन्हीं दो महीने में होती है। इस दौरान डायरिया, एनीमिया और मलेरिया का व्यापक प्रकोप रहता है। ऐसे में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण दर्जनों मरीजों के असमय मौत का कारण बन जाता है।