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पहले खुद सीखा योग, अब दूसरों को बना रहीं निरोग

हम अपनी अलग पहचान तभी बना सकते हैं जब हमारे भीतर जोखिम लेने का साहस हो। तमाम परेशानियों के बावजूद यदि मन में ठान लें तो कोई भी कठिन काम असंभव नहीं। राब‌र्ट्सगंज के विकास नगर की शिक्षिका अनीता गुप्ता ने दुश्वारियों के बावजूद साहस नहीं छोड़ा और वर्ष 2015 में योग का प्रशिक्षण लेने के बाद खुद लोगों को योगा कराने लगीं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 07:03 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 07:03 PM (IST)
पहले खुद सीखा योग, अब दूसरों को बना रहीं निरोग
पहले खुद सीखा योग, अब दूसरों को बना रहीं निरोग

सतीश सिंह, सोनभद्र : हम अपनी अलग पहचान तभी बना सकते हैं, जब हमारे भीतर जोखिम लेने का साहस हो। तमाम परेशानियों के बावजूद यदि मन में ठान लें तो कोई भी कठिन काम असंभव नहीं। राब‌र्ट्सगंज के विकास नगर की शिक्षिका अनीता गुप्ता ने दुश्वारियों के बावजूद साहस नहीं छोड़ा और वर्ष 2015 में योग का प्रशिक्षण लेने के बाद खुद लोगों को योगा कराने लगीं। उन्होंने योगा से शरीर में पनप रहे कई गंभीर रोगों को भी पराजित किया है और आज उनकी पहचान बेहतर योग शिक्षक के रूप में बनी है।

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अनीता ने कुशल गृहिणी रहते हुए प्राइवेट स्कूल में बतौर शिक्षिका कार्य शुरू किया। इस दौरान वर्ष 2014 में वे थायराइड की समस्या से घिर गईं। इस दौरान एंजाइटिस व मोटापा भी हावी हो गया। पतंजलि की तरफ से वर्ष 2015 में योग कक्षा प्रारंभ हुई तो अनीता ने प्रशिक्षण शुरू किया। पतंजलि से जुड़कर वे योग प्रशिक्षण प्राप्त कर तीन माह में ही थायराइड को मात देने में कामयाब रहीं। प्रतिदिन एक घंटे योग व प्राणायाम से उनका वजन भी घट गया। उन्होंने अपना ही नहीं, मां को योग कराकर उन्हें भी कई बीमारियों से दूर रखा। वर्ष 2016 में आयुष मंत्रालय की तरफ से महिलाओं के लिए एक माह का योग शिविर चलाया गया। योग शिविर में योगा कराने व सिखाने की जिम्मेदारी अनीता को मिली। उन्होंने आधी आबादी का एक दल बनाया और महिलाओं को योग सिखाने लगी। उनके लगन का ही परिणाम रहा कि राब‌र्ट्सगंज नगर की सात सौ महिलाएं उनके योग क्लास से जुड़ चुकी हैं और उनके शरीर में काफी बदलाव आया है।

अनीता वर्ष 2017 में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई लेकिन हिम्मत नहीं हारीं। अपनी अधीनस्थ महिलाओं के जरिए योगा क्लास जारी रखते हुए खुद को स्वस्थ करने में जुट गई। उनका यह प्रयास रंग लाया और प्राणायाम के जरिए चोट से आए स्पाइनल समस्या को ठीक कर लिया लेकिन वर्ष 2018 में पुन: घायल हो गई और सिर में चोट लगने के साथ ही कान के पर्दे फट गए। घायल होने की वजह से आंखों की रोशनी भी कम हो गई लेकिन हार नहीं मानी। योग व प्राणायाम करते हुए अपने इन समस्याओं पर दो माह में जीत हासिल कर लिया। 17 सितंबर 2020 में कोरोना की चपेट में आ गईं। इस दौरान योग व प्राणायाम का साथ नहीं छोड़ा और कोरोना से भी जंग जीतने में कामयाब रहीं।


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