हाट शाखाओं पर महीने भर से किसान लेकर खड़े हैं धान
जागरण संवाददाता सोनभद्र कड़ी मेहनत कर फसल उगाने वाला अन्नदाता अब अपनी ऊपज को सरकारी क्र
जागरण संवाददाता, सोनभद्र: कड़ी मेहनत कर फसल उगाने वाला अन्नदाता अब अपनी ऊपज को सरकारी क्रय केंद्रों पर बेचने के लिए परेशान है। क्रय केंद्रों, हाट शाखाओं पर किसान महीने भर से धान लेकर खड़े हैं। अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं ताकि धान बेचा जा सके लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है।
धान न बिकने से घरेलू कामकाज आर्थिक तंगी के कारण प्रभावित हो रहा है। तमाम किसान इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं और ट्रैक्टर ट्रालियों पर धान लेकर क्रय केंद्रों पर इस उम्मीद के साथ कई कई दिनों से खड़े हैं कि उनका धान बिकेगा तो कुछ रुपये हाथ में आएंगे जिससे घरेलू जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
उधर पल्लेदारों ने अलग ही राग अलापना शुरू कर दिया है। पल्लेदारी 20 रुपये प्रति कुंतल पहले से निर्धारित है, लेकिन अब पल्लेदार 40 रुपये प्रति कुंतल पल्लेदारी मांग रहे हैं। इससे उन्हीं किसानों का धान क्रय केंद्रों पर उतर पा रहा है जो पल्लेदार को मुंहमांगी पल्लेदारी दे रहे हैं। क्रय केंद्रों पर धान की खरीद की गति भी काफी धीमी है, जिससे तमाम किसान कई कई दिनों तक क्रय केंद्रों पर खड़े रहने के लिए विवश हैं।
- 47 दिन से मंडी समिति परिसर में धान बेचने के लिए खड़े हूं। रोज अपनी बारी का इंतजार कर रहा हूं, लेकिन नंबर कब आएगा कुछ कहा नहीं जा सकता। इस कड़ाके की ठंड में धान की रखवाली भी करना है। कुश सिंह, कुसीनिस्फ।
- 60 कुंतल धान 15 दिन से लेकर क्रय केंद्र पर खड़ा हूं। अब तो पल्लेदार भी 20 की जगह 40 रुपये मांग रहे हैं। एक तो धान की खरीद काफी धीमी गति से हो रही दूसरे खराब मौसम में डरा रहा है। रामचंद्र सिंह, मानपुर।
- किसान धान की खेती करता है। उसमें काफी मेहनत करता है और फिर उसी धान को बेचने के लिए उसे एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है। 60 कुंतल धान लेकर 15 दिन से मंडी परिसर स्थित क्रय केंद्र पर खड़ा हूं। धान कब खरीदा जाएगा कुछ पता नहीं।
अर्पित, लसड़ी। - 149 कुंतल धान लेकर बेचने के लिए आए थे। अभी तक महज 60 कुंतल धान की बिक पाया है। 25 दिसंबर से क्रय केंद्र पर हूं। कब खरीद पूरी होगी कुछ समझ में नहीं आ रहा। प्रशासन भी किसानों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है।
दीपक कुमार, ओड़ौली।