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प्रश्न पत्र न पहुंचने पर बोर्ड पर लिखकर कराई गई परीक्षा

वाह रे! परिषदीय विद्यालय की परीक्षा व्यवस्था। यह शब्द कोई आम इंसान के नहीं बल्कि अच्छी खासी तनख्वाह लेकर शिक्षा विभाग में नौकरी करने वाले उन शिक्षकों की है जिनके कंधे पर देश की भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है। जनपद में परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों में प्रतिभावान विद्यार्थि

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 02:05 AM (IST)
प्रश्न पत्र न पहुंचने पर बोर्ड पर लिखकर कराई गई परीक्षा
प्रश्न पत्र न पहुंचने पर बोर्ड पर लिखकर कराई गई परीक्षा

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले के परिषदीय विद्यालयों में मेधावियों की तलाश के लिए 19 अगस्त से शुरू हुई परीक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। शिक्षकों ने ही ये सवाल खड़े किए हैं। जिससे शिक्षक परेशान रहे।

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त्रैमासिक परीक्षा में सुचिता बनाए रखने के लिए पहले से ही अफसरों की जिम्मेदारी तय कर दी गई थी। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य को प्रश्नपत्र बनाने व स्कूलों को मुहैया कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। जिले में हालत यह रहे कि परीक्षा के एक दिन पहले रविवार की शाम साढ़े सात बजे से न्याय पंचायत स्तर पर बने शिक्षकों के ग्रूप में प्रश्नपत्र डाला गया। कुछ ग्रूप में तो रात 10 बजे तक प्रश्न पत्र पहुंचे। ग्रूप में शिक्षकों को हिदायत दी जा रही थी कि परीक्षा की सुचिता बनी रहे। यह भी निर्देशित किया गया कि हेडमास्टर प्रश्नपत्रों की फोटो कापी खुद करा लें। देर शाम न्याय पंचायत स्तर के ग्रुप में आए प्रश्न पत्र के पीडीएफ फाइल को तमाम शिक्षक खोल ही नहीं सके। रात हो जाने की वजह से प्रश्नपत्रों की फोटो कापी भी नहीं करा सके। सुबह आठ बजे शिक्षक स्कूल पहुंचे। परीक्षा को लेकर तनाव झेल रहे गुरुजी लोग तब पसीना छोड़ दिए जब नेटवर्क समस्या के कारण पीडीएफ फाइल ही नहीं खुली, जहां फाइल खुली वह ब्लैक बोर्ड पर प्रश्नपत्रों को लिखकर परीक्षा ली गई। बरसात ने बिगाड़ा त्रैमासिक परीक्षा का खेल

सोमवार को कभी तेज तो कभी धीमी बरसात से परिषदीय विद्यालयों में छात्रों की संख्या काफी कम रही। कुछ विद्यालयों में तो छात्र पहुंचे भी नहीं। बभनी ब्लाक के कई स्कूलों में छात्र नहीं पहुंचे, बावजूद इसके परीक्षा ले ली गई। खंड शिक्षा अधिकारी बभनी संजय कुमार ने कहा कि 156 परिषदीय विद्यालयों में हिदी व संस्कृति की परीक्षा हुई है, हालांकि छात्रों की संख्या काफी कम थी। गजब! वाट्सएप पर सवाल, किताब खोलकर लिखा जा रहा जवाब

दुद्धी : वाह रे! परिषदीय विद्यालय की परीक्षा व्यवस्था। यह शब्द कोई आम इंसान के नहीं, बल्कि अच्छी खासी तनख्वाह लेकर शिक्षा विभाग में नौकरी करने वाले उन शिक्षकों के हैं, जिनके कंधे पर देश का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है। परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों में प्रतिभावान विद्यार्थियों की खोज के लिए प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में सोमवार से त्रैमासिक परीक्षा का संचालन हो रहा है। पहले ही दिन परीक्षा में खामियों का ऐसा भंडार मिला कि इससे सुचिता ही तार-तार हो गई। दुद्धी क्षेत्र के लगभग सभी परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों के वाट्सएप पर भेजे गए सवालों को ब्लैक बोर्ड पर उतारा गया। अब बारी उसके जबाव की आई तो'गुरुजी'ने जिस तरह सवाल आया था, उसी अंदाज में जवाब लिखने की व्यवस्था में भी बच्चों को खुली छूट दे दी। यानी स्वपुस्तक प्रणाली व्यवस्था लागू कर दी गई। जिन बच्चों में नकल के लिए अक्ल होगा, वह इस प्रतिभा खोज परीक्षा में अव्वल रहने की उम्मीद उनके शिक्षकों द्वारा जताई गई। जब इस पर कुछ शिक्षकों से सवाल किया गया तो वे व्यवस्था की खामियों का पिटारा खोलते हुए बताया कि उनके मोबाइल पर सुबह आठ बजे प्रश्न पत्र मिला, अब हम विद्यालय छोड़कर उसका प्रिट आउट निकलवाएं या फिर समय से परीक्षा कराएं।


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