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निजीकरण का विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने किया विरोध

जागरण संवाददाता अनपरा (सोनभद्र) अनपरा तापीय परियोजना के मुख्य द्वार के समक्ष गुरुवार को विद्युत।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 06:08 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 10:02 PM (IST)
निजीकरण का विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने किया विरोध
निजीकरण का विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने किया विरोध

जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : अनपरा तापीय परियोजना के मुख्य द्वार के समक्ष गुरुवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने केंद्र और राज्य सरकारों की निजीकरण नीति के विरोध में विरोध-प्रदर्शन किया। आयोजित विरोध सभा में संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों रोहित राय, अरविद चौधरी, हरिशंकर चौधरी, सुशील श्रीवास्तव, विश्वंभर सिंह, शारदा प्रसाद, बृजेश शर्मा, विवेक सिंह, राजकुमार सिंह, अनिल यादव आदि ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच केंद्र व राज्य सरकार बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली है। इसके विरोध में देश भर के बिजली कर्मियों ने प्रदर्शन कर आक्रोश जताया है। प्रदेश में विरोध सभाएं व प्रदर्शन कर निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैंडर्ड बिडिग डाक्यूमेंट को निरस्त करने की मांग की गई। कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया वापस नहीं ली गई तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी। वक्ताओं ने उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से निजीकरण विरोधी आंदोलन में सहयोग करने की अपील की। कहा कि निजीकरण के बाद सबसे ज्यादा क्षति आम उपभोक्ताओं को होगी। इलेक्ट्रिसिटी बिल और बिजली वितरण के निजीकरण से बिजली काफी महंगी हो जाएगी। सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी। वर्तमान में बिजली की लागत सात रुपये 90 पैसे प्रति यूनिट है। कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को 16 फीसदी मुनाफा लेने का अधिकार होगा। इससे उपभोक्ता को बिजली 10 रुपये प्रति यूनिट पर मिलेगी। स्टैंडर्ड बिडिग डाक्यूमेंट के अनुसार निजी कंपनियों को डिस्काम की परिसंपत्तियां कौड़ियों के दाम सौंपी जानी है। सरकार डिस्काम की सभी देनदारियां व घाटे को खुद अपने ऊपर ले लेगी। निजी कंपनियों को क्लीन स्लेट डिस्काम दी जाएगी। सरकार बाजार से महंगी बिजली खरीद कर निजी कंपनियों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराएगी, जिससे उन्हें घाटा न हो। नई नीति के अनुसार डिस्काम के 100 प्रतिशत शेयर बेचें जाने हैं। सरकार का निजीकरण के बाद कर्मचारियों के प्रति कोई दायित्व नहीं रहेगा। कर्मचारियों को निजी क्षेत्र के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा। विद्युत कर्मियों की प्रमुख मांगें

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केरल के केएसईबी लिमिटेड की तरह उप्र में भी सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन किया जाए। निजीकरण और फ्रेंचाइजी की समस्त प्रक्रिया निरस्त की जाए। ग्रेटर नोएडा का निजीकरण व आगरा का फ्रेंचाइजी करार रद किया जाए। सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली लागू की जाए। तेलंगाना की तरह ऊर्जा निगमों में कार्यरत सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए। नियमित पदों पर नियमित भर्ती की जाए। सभी संवर्गों की वेतन विसंगतियों का निराकरण किया जाए। पूर्व की भांति सभी संवर्गों को तीन पदोन्नति पद के समयबद्ध वेतनमान दिए जाएं।

निजीकरण की प्रक्रिया हो वापस

ओबरा : निजीकरण के विरोध में गुरुवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों एवं अभियंताओं ने सेक्टर तीन में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान चेतावनी दी कि अगर यदि निजीकरण की प्रक्रिया वापस नहीं की गई तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी। सभा को अदालत वर्मा, आरजी सिंह, शशिकांत श्रीवास्तव, अंकित प्रकाश, अभय प्रताप सिंह, शाहिद अख्तर आदि ने संबोधित किया। इसमें ओमप्रकाश पाल, विजय प्रताप कुशवाहा, वरुण कुमार, गोपीचंद, पशुपति नाथ विश्वकर्मा आदि थे। अधिशासी अभियंता कार्यालय पर धरना

सोनभद्र : राब‌र्ट्सगंज नगर स्थित अधिशासी अभियंता कार्यालय पर बिजली कर्मचारियों ने गुरुवार को अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर आवाज बुलंद की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर एक्सईएन सर्वेश सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की बिजली क्षेत्र को निजीकरण के नीतियों का हम लोग विरोध करते हैं। इसमें सर्वेश कुमार, वीरेश कुमार, अभिषेक कौशल, धर्मेंद्र सिंह, सिद्धार्थ मौर्या, विनोद कुमार, रंजन शर्मा आदि थे।


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