पूर्व सपा विधायक की पत्नी व एनएसयूआइ के प्रदेश अध्यक्ष को ईडी का नोटिस
सोनभद्र करोड़ों रुपये की लागत से लखनऊ में बने डा. आंबेडकर पार्क ।
प्रशांत शुक्ल
सोनभद्र : करोड़ों रुपये की लागत से लखनऊ में बने डा. आंबेडकर पार्क में प्रयुक्त लाल पत्थर की आपूर्ति में अनियमितता के आरोपितों की संपत्ति की जांच तेज हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहायक निदेशक राजकुमार सिंह ने 11 नवंबर को नोटिस जारी कर सपा के पूर्व विधायक रमेशचंद्र दुबे की पत्नी अंजना दुबे व भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र नारायण से संपत्ति का ब्योरा तलब किया है। दोनों आरोपितों को एक सप्ताह में लखनऊ स्थित ईडी कार्यालय में पेश होने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि आंबेडकर पार्क का निर्माण बसपा सरकार में हुआ था।
ईडी के सहायक निदेशक ने पत्र के माध्यम से कहा है कि वर्ष 2007 से 2011 के बीच प्रदेश में बने पांच स्मारकों में हुई अनियमितताओं की धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच की जा रही है। वर्ष 2019 में 22 नवंबर को आरोपित अंजना दुबे ने अपना बयान प्रवर्तन निदेशालय में दर्ज कराया था। इस दौरान उनसे जो ब्योरा मांगा गया वह उन्होंने उपलब्ध नहीं कराया। इस क्रम में ईडी ने पूर्व विधायक की पत्नी से उनकी फर्म वैष्णो स्टोन के मालिकों के नाम-पते, फर्म की ओर से आपूर्ति किए गए पत्थरों की मात्रा व हर मालिक को मिले भुगतान का विवरण मांगा है। साथ ही वर्ष 2007-2011 के बीच अंजना दुबे व परिवार के सदस्यों के बैंक खातों और चल-अचल संपत्तियों की जानकारी भी मांगी गई है। इस बहुचर्चित घोटाले का पर्दाफाश जागरण ने चार सितंबर 2013 के अंक में किया था।
क्या है मामला : लोकायुक्त की जांच में पता चला था कि मीरजापुर के लाल पत्थरों को जयपुर का बताकर 1890 रुपये प्रति घन फीट की दर से आपूर्ति किया गया। इस अनियमितता के लिए लोकायुक्त ने घोरावल के तत्कालीन सपा विधायक रमेश चंद्र दुबे समेत 20 लोगों को आरोपित बनाया था। जांच के बाद वर्ष 2014 में जिलाधिकारी रहे चंद्रकांत ने विधायक रमेश दुबे की पत्नी अंजना दुबे के नाम सुकृत में संचालित पत्थर खदान का पट्टा (आराजी सं. 310/4, रकबा 6.20 एकड़) निरस्त कर दिया था। इस मामले में लोकायुक्त ने घोरावल से ही पूर्व बसपा व वर्तमान भाजपा विधायक अनिल मौर्या व बसपा के पूर्व सांसद प्रत्याशी शारदा प्रसाद मौर्य को भी आरोपित मानते हुए इनके पत्थर खदान का पट्टंा निरस्त करने का आदेश दिया था। जांच आगे बढ़ी तो ईडी ने एनएसयूआइ के प्रदेश अध्यक्ष रहे राघवेंद्र नारायण को भी आरोपित बनाया है।